फतेहपुर, परिषदीय विद्यालयों में एमडीएम योजना के तहत गर्मागर्म खाना बनाकर परोसने का काम करने वाली रसोइयों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाए जाने काम रुकने का नाम नहीं ले रहा है। पीड़ित रसोइयों ने विभाग की चौखट खटखटाई है।
शिकायतों पर संजीदा हुए बीएसए ने अब तक 50 मामलों की जांच खंड शिक्षाधिकारियों से कराने के निर्देश दिए हैं।1 जिले के 2670 परिषदीय स्कूलों, 124 राजकीय व वित्तपोषित स्कूलों में दोपहर का भोजन परोसा जा रहा है। इन शिक्षालयों में 6620 रसोइयां 1000 रुपए के मानदेय में काम कर रही हैं। इनके चयन की प्रकिया गठित टीम करती है। जिसमें प्रधान अध्यक्ष और स्कूल का प्रधान अध्यापक सचिव होता है। इनके कंधों पर निर्धारित मानकों में विधवा को वरीयता, रसोइया के पाल्यों का स्कूल में प्रवेश होना आदि बाध्यताएं शामिल हैं, इनको ध्यान में रखकर चयन किया जाता है।
प्रधान की कुर्सी में काबिज होते ही बदलाव की बयार आ गई। जिले में 200 रसोइयों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। न्याय की आस पर ऐसी रसोइयो ने बीएसए को शिकायती पत्र दिया है। हाल ही में प्राथमिक विद्यालय इजूरा निर्मला देवी, उच्च प्राथमिक स्कूल इजूरा की ऊषा देवी, प्राथमिक विद्यालय दुर्गा का पुरवा ने शिकायती पत्र दिया, इस तरह शिकायत करने वाली रसोइयों की संख्या 200 जा पहुंची है।
बीएसए विनय कुमार सिंह ने बताया कि ऐसी दिक्कतें आ रही हैं। रसोइयों का आरोप है कि प्रधानों ने अपने चहेतों को रसोइया बनाने के लिए उन्हें हटा दिया है। इजूरा और दुर्गा का पुरवा जैसे मामलों की जांच के लिए खंड शिक्षाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। गलत तरीके से हटाई गई रसोइयों का दोबारा चयन होगा। जांच में शासन द्वारा निर्धारित पात्रता की जांच अहम होगी।
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