लाख प्रयास के बाद भी परिषदीय शिक्षा की गाड़ी पटरी पर नहीं दौड़ पा रही। शिक्षक और प्रधानाध्यापक ही नहीं विभाग भी लापरवाह बना हुआ है। कोई निगरानी करने वाला नहीं है। एक तो आज तक बच्चों को किताबें नहीं मिली, ऊपर से पुरानी ड्रेस कोढ़ में खाज का काम कर रही है। आधा शैक्षिक सत्र बीत गया लेकिन आज तक विभाग बच्चों को नई ड्रेस नहीं पहना सका है। जबकि, 10 अगस्त को ही बजट मिल गया था। शासन ने निर्देशित किया था कि पांच सितंबर तक नई ड्रेस बच्चों को उपलब्ध करा दें। लेकिन, आज तक ड्रेस के लिए नाप तक नहीं लिए जा सका है। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों की तो बात छोड़िए, महानगर की स्थिति भी ठीक नहीं है। 76 परिषदीय विद्यालयों में आज तक एक भी जगह ड्रेस नहीं बंटी है। इसको लेकर नगर शिक्षा अधिकारी ब्रह्मचारी शर्मा गंभीर हैं। सोमवार को उन्होंने बैठक भी की थी, आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी किये। अब देखना है कि बच्चों को ड्रेस मिलती है या किताब की तरह सिर्फ इंतजार ही करना पड़ेगा। प्रधानाध्यापकों के अनुसार शासन का कहना है कि दर्जी से सिलाई गई ड्रेस ही बच्चों को देनी है, लेकिन दर्जी ही नहीं मिल रहे हैं। जो मिल रहे हैं वह विद्यालय तक नहीं पहुंच रहे।
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