विद्यालयों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और मिड-डे मील पर जोर तो दिया जा रहा है पर जमीनी हकीकत की तरफ कोई देखने वाला नहीं है। एक तो विभाग लापरवाह, दूसरे रही बची कसर ग्रामीण पूरी कर रहे हैं। विद्यालयों में जानवर बंधे रहते हैं पर न अधिकारी इस तरफ ध्यान दे रहे हैं और न ही ग्रामीण। ऐसे में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट होती जा रही है।
परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के पंजीकरण के लिए स्कूल चलो अभियान और फिर उपस्थिति बढ़ाने के लिए उपस्थिति अभियान से लेकर न जाने कितने इंतजाम किए गए हैं, लेकिन व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो रहा है। अब इसके लिए व्यवस्था दोषी है या फिर कुछ अन्य लेकिन धीरे धीरे परिषदीय विद्यालयों से बच्चे दूर होते जा रहे हैं। अधिकारियों के निरीक्षण में विद्यालयों में पंजीकृत बच्चों के सापेक्ष मात्र 30 से 35 फीसद बच्चे उपस्थित मिल रहे हैं दूसरी तरफ निजी विद्यालयों में बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। हाउस होल्ड सर्वे के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। जिसमें हजारों बच्चे परिषदीय विद्यालयों में कम हो गए। अब विद्यालयों में बच्चे भले ही न मिल रहे हों लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालयों के आसपास और तो और कुछ में तो परिसर के अंदर जानवर बांधे जा रहे हैं। शिक्षक शिक्षिकाओं का कहना है कि कुछ स्थानों पर विरोध किया लेकिन विभागीय अधिकारी उनकी सुनवाई के बजाय ग्रामीणों की फर्जी शिकायत पर उनके ऊपर ही कार्रवाई कर दी। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मसीहुज्जमा सिद्दीकी ने बताया विभाग पूरा काम कर रहा है। ग्रामीणों को भी इसमें आगे आना चाहिए। विद्यालयों के निरीक्षण में जहां पर भी ऐसी हालत मिलती है तो बच्चों की कम संख्या पर अध्यापकों और जानवर मिलने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई कराई जाएगी।विद्यालय के बाहर कुछ इस तरह से बांधे जाते जानवर।
No comments:
Write comments