गुरू जी के खाते में माह नवंबर का वेतन पहुंच गया है, पर उनकी जेब खाली है। गुरू जी परेशान हैं कि स्कूल में बच्चों को पढ़ाएं या फिर बैंक में लाइन लगाएं। नोट बंदी से सबसे अधिक दिक्कत पेंशनरों को है। जिनका शरीर बैंक में लाइन लगाने से जबाब दे चुकी है। ऐसे में शिक्षक व पेंशनर परेशान हैं।
नोट बंदी के बाद बैंकों में भुगतान के लिए जलालत ङोल रहे शिक्षकों के खाते में माह नवंबर का वेतन पहुंचा तो एसएमएस मिला। इसके बाद भी उन्हें हर महीने की तरह खुशी नहीं हुई। खाते में धनराशि होने के बाद भी जेब खाली है। शिक्षकों को समझ में नहीं आ रहा है कि स्कूल में जाकर बच्चों को पढ़ाएं, या फिर सुबह से ही बैंक में पहुंच कर भुगतान के लिए लाइन लगाएं। बड़ौदा ग्रामीण बैंक की शाखाओं में खाता धारकों को अधिक समस्या ङोलनी पड़ रही है। बैंक में कैश न होने के चलते सप्ताह भर में एक दो दिन ही बैंक में भुगतान किया जाता है। अधिकांश बेसिक शिक्षकों के खाते इन्हीं बैंको में हैं। इससे शिक्षकों को दिक्कत हो रही है। इससे भी बड़ी समस्या पेंशनरों की है। वह जीवन के साठ बरस अपनी सेवा देने के बाद पेंशन के लिए बैंक में लाइन लगाने को मजबूर हो रहे हैं। उम्र के अंतिम पायदान पर पहुंच चुके पेंशनरों के सभी अंग जवाब दे चुके हैं। इनके शरीर में अब वह ताकत नहीं रह गई है, कि दिन भर बैंक की लाइन के धक्के को सह सकें। जेब में पैसा न होने से लोग परेशान हो रहे हैं।
बीएम इंटर कालेज के प्रधानाचार्य हरिश्चंद्र लाल श्रीवास्तव ने बताया है कि शिक्षकों के खाते में वेतन तो समय से पहुंच गया, लेकिन अब समझ में नहीं आ रहा है कि शिक्षक व कर्मचारी पठन-पाठन कार्य करें, या फिर विद्यालय बंद करके बैंक जाएं।
माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष अनिल सिंह ने डीएम से शिक्षकों के वेतन भुगतान के लिए अलग काउंटर बनाए जाने की मांग की है। पेंशनर संघ के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह, शोभ नाथ मिश्र आदि लोगों ने पेंशनर को बैंक से सहज भुगतान दिलाने की मांग की है।
शिक्षकों के खाते में पहुंचा वेतन पर जेब है खाली शिक्षकों व पेंशनरों ने मांगा अलग काउंटरएचडीएफसी के एटीएम पर लगी लोगों की कतार।
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