एक तो तितलौकी, दूजे नीम चढ़ी’ यह कहावत चरितार्थ हो रही परिषदीय व माध्यमिक विद्यालयों में। शिक्षण सत्र के शुरुआत में किताबों व शिक्षकों कमी के चलते शिक्षण कार्य प्रभावित था। व्यवस्था पटरी पर आई तो चुनाव का ग्रहण लग गया। विद्यालयों को अर्ध सैनिक बलों का डेरा बनाए जाने से पढ़ाई बाधित हो गई है। परीक्षा विलंब से होने पर अगले शिक्षण सत्र पर भी प्रभाव पड़ेगा। नौनिहालों के भविष्य को लेकर अभिभावक परेशान हैं।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत मुफ्त किताबों का वितरण पांच माह बाद किया गया। वहीं अंतरजनपदीय शिक्षकों के समायोजन, पदोन्नति आदि को लेकर कई माह तक परिषदीय स्कूलों में जरूरत के अनुसार शिक्षक नहीं थे वहीं आयोग से नियुक्ति प्रक्रिया पूरी न होने के कारण माध्यमिक विद्यालयों में अधिकांश पद रिक्त हैं। जिसके चलते शिक्षण कार्य प्रभावित था। सब कुछ ठीक हुआ तो ठंड के चलते लगभग बीस दिन से शिक्षण कार्य ठप है।
विधानसभा चुनाव में जनपद के 84 विद्यालयों में अर्ध सैनिक बल को ठहराया जाएगा। वहीं लगभग 2151 मतदान केंद्र बनाया गया है। दो कंपनी अर्ध सैनिक बलों के लिए विद्यालय प्रबंध तंत्र को 12-12 शौचालय व स्नानागार, सबमर्सिबल, सभी कक्षों में बिजली आदि की व्यवस्था करनी है। जहां यह संसाधन नहीं हैं किसी भी मद से कमी को पूरा करने के लिए कहा गया है। 1सामुदायिक भवनों का नहीं होता उपयोग1ग्रामीण अंचलों में समारोहों के लिए बसपा शासन काल में लाखों की लागत से सामुदायिक भवनों का निर्माण कराया गया है। इन भवनों में शादी समारोह आदि के आयोजन के लिए शौचालय, बिजली, पानी, हवा, रात्रि विश्रम आदि की व्यवस्था है, लेकिन जिले के अधिकांश भवन उपयोग न होने और रख-रखाव के अभाव में जीर्ण-शीर्ण हो रहे हैं। शायद ही इन भवनों का ग्रामीण उपयोग करते हों। चुनाव व सरकारी कार्यक्रमों के लिए भी जिला प्रशासन उपयोग नहीं करता। डोभी विकास खंड के रेहारी गांव में वर्षों से बंद पड़े सामुदायिक भवन से सटे परिषदीय विद्यालय को जहां बूथ बनाया गया है। वहीं आदर्श इंटर कालेज में दो कंपनी अर्ध सैनिक बल को ठहराने की व्यवस्था की जा रही है। यह तो एक बानगी है। सूबे में बंद पड़े तमाम ऐसे भवनों का उपयोग नहीं किया जा रहा है।
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