नर्सरी दाखिले पर दिल्ली सरकार व निजी स्कूलों की रस्साकशी के बीच हाई कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार, मानव संसाधन विकास मंत्रलय व शहरी विकास मंत्रलय को देशभर के लिए नर्सरी दाखिला नीति पेश करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति मनमोहन ने नोटिस जारी कर तीनों से अपने जवाब में यह स्पष्ट करने का दिया है कि क्या भूमि आवंटन नीति में उन्हें नेबरहुड (आस पड़ोस) नीति की जानकारी है या नहीं। अदालत ने कहा कि क्या उनके पास इस प्रकार की कोई नीति है। मामले की सुनवाई 20 जनवरी को होगी। 17 जनवरी को सरकार ने नर्सरी दाखिलों में प्रबंधन कोटा खत्म करने व आवंटन शर्तो को लेकर अधिसूचना जारी की थी। जिसे निजी स्कूलों, अल्संख्यक स्कूलों व अभिभावकों ने अलग-अलग याचिकाएं दायर कर चुनौती दी है। सुनवाई के दौरान निजी स्कूलों के वकील ने नेबरहुड नीति को गलत बताया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि वसंत विहार इलाके में ज्यादातर हर बड़े स्कूल की शाखा है। 1आखिर नेबरहुड नीति के तहत कितने बच्चों को दाखिला मिलेगा। उन्होंने कहा कि हर बच्चे के अभिभावक को यह तय करने का अधिकार है कि उसका बच्च किस स्कूल में पढ़े। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जनसंख्या को देखते हुए भी यह नीति नहीं चल सकती। यह नीति उनके मौलिक व संवैधानिक अधिकारों का हनन सकती है। निजी स्कूलों ने तर्क रखा कि दो वर्ष पहले भी उपराज्यपाल ने इसी प्रकार से अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल किया था। लेकिन अदालत ने उसे गलत ठहराया था। इसके अलावा डीडीए व भूमि एवं विकास कार्यालय ने भूमि का आवंटन मात्र आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के बच्चों को शिक्षा की शर्त पर किया था। अब नेबरहुड की शर्त गलत तरीके से लगा दी गई है। इससे पूर्व बुधवार सुबह दो सदस्यीय खंडपीठ ने नर्सरी दाखिला मामले में सुनवाई से इन्कार कर दिया। खंडपीठ ने कहा था कि मामले में एकल पीठ सुनवाई करने में समक्ष है। एक अधिवक्ता ने याचिका दायर कर दो सदस्यीय खंडपीठ से मामले को सुनने का आग्रह किया था।
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