आइआइएम और आइआइटी जैसे शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों में अध्यापकों की कमी को लेकर संसदीय समिति ने गहरी चिंता जताई है। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अध्यापकों की कमी से शिक्षा की गुणवत्ता काफी प्रभावित हो रही है। इसलिए इस पर सरकार को तत्काल ध्यान देना चाहिए। भाजपा सांसद सत्यनारायण जाटिया की अध्यक्षता वाली एचआरडी मंत्रलय से संबद्ध संसदीय समिति ने कहा है कि सरकार इस कमी को दूर करने के लिए तुरंत कदम उठाए।
नई दिल्ली : केंद्रीय विद्यालय इस समय शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं। हालत यह है कि औसतन हर स्कूल में दस शिक्षकों की कमी है। 10 हजार से ज्यादा शिक्षकों की कमी की वजह से छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहे असर को देखते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रलय ने इनकी नियुक्ति प्रक्रिया काफी तेज कर दी है। 1देशभर के एक हजार से ज्यादा केंद्रीय विद्यालयों में 12 लाख से ज्यादा छात्रों की पढ़ाई की गुणवत्ता इन दिनों काफी प्रभावित हो रही है। इन विद्यालयों में इस समय अध्यापकों के 10,285 पद खाली हैं। हाल के वर्षो में यह कमी सबसे अधिक है। वर्ष 2014 में केंद्रीय विद्यालयों में 4,296 शिक्षकों की कमी थी, जबकि इसके अगले वर्ष यह घट कर 2,019 रह गई थी। मानव संसाधन विकास मंत्रलय के एक वरिष्ठ अधिकारी इस बारे में कहते हैं कि इन पदों को जल्द से जल्द भरना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में है। इसके लिए प्रक्रिया काफी तेजी से चल रही है और जल्द ही इन पदों को पूरी तरह भर लिया जाएगा। साथ ही वे कहते हैं कि छात्रों की समस्या को देखते हुए इन पदों पर नियुक्ति होने तक कांट्रैक्ट पर भी शिक्षक रखे गए हैं। साथ ही ये बताते हैं कि शिक्षकों की इस कमी की वजह नियुक्ति प्रक्रिया में आई बाधा है। टीजीटी पदों पर नियुक्ति के लिए लिखित परीक्षा भी आयोजित की जा चुकी थी, लेकिन इनके पर्चे लीक हो जाने की शिकायत पर इस परीक्षा को रद करना पड़ा था। ऐसे में रिक्त पदों की संख्या काफी बढ़ गई। लेकिन नए सिरे से इन 6,205 पदों के लिए प्रक्रिया बहुत जल्द ही पूरी कर ली जाएगी। करीब चार हजार अन्य पदों के लिए अलग से प्रक्रिया शुरू हो रही है।’
No comments:
Write comments