आंगनबाड़ी केंद्रों से घरेलू राशन और गर्म पके भोजन की जगह पर सूखा राशन देने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने नवजात बच्चों, स्तनपान कराने वाली माताओं (धात्रियों) घरेलू राशन और गर्म पके भोजन की जगह पर सूखा राशन देने पर रोक लगा दी है। साथ ही सरकार को निर्देश दिया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के प्रावधानों का समयबद्ध तरीके से तरह पालन करे और घरेलू राशन व गर्म पके भोजन की आपूर्ति की उपलब्धता 2022 के नियमों के तहत सख्ती से सुनिश्चित करे।
न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने यह आदेश शिप्रा देवी व प्रत्यूष रावत की जनहित याचिकाओं को निस्तारित करके दिया। याचियों ने आंगनवाड़ी केंद्रों को आपूर्ति करने वाले पोषाहार की मात्रा व गुणवत्ता समेत इसके वितरण में कथित धांधली का मुद्दा उठाया था। साथ ही केंद्रों के संचालन, पोषाहार आपूर्ति व निगरानी करने का आग्रह किया है।
याचियों का कहना था कि प्रदेश में कुल 1,89,140 आंगनवाड़ी केंद्र हैं। इनमें 1,78,706 कार्यकर्ता काम कर रहे हैं। 31 अक्तूबर 2024 तक इन केंद्रों से 2 करोड़ 22 लाख 33 हजार 550 लाभार्थी जुड़े हैं।
कोर्ट ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों को वरीयता देना एवं महिलाओं का सशक्तीकरण सरकार का स्वागत योग्य कदम है, लेकिन यह सशक्तीकरण ग्राम पंचायतों की सहभागिता से होना चाहिए।
कोर्ट ने प्रदेश सरकार को पोषाहार वितरण के पोर्टल पोषण ट्रैकर पर सही जानकारी अपलोड कराने के निर्देश दिए हैं। आंगनवाड़ी केंद्रों पर रखे रजिस्टरों में भी जानकारी दर्ज करने को कहा है।
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