दस्तावेज अब कहां हैं किसी को पता नहीं सूत्रों की मानें तो मामला पकड़े जाने के बाद सारे स्कूलों से दस्तावेज एडी बेसिक के ऑफिस पहुंचे। वहां से बीएसए ऑफिस पहुंचे, मगर अब कहां हैं, इसका कुछ पता नहीं। मुकदमा दर्ज होने के बाद वर्ष 2013 से अब तक विजिलेंस ने यहां तैनात रहे विभिन्न बीएसए को नोटिस व करीब एक दर्जन बार रिमाइंडर दिया। मगर विभाग ने दस्तावेज नहीं दिए और फिर यह जवाब दे दिया।
इनकी हो चुकी है मौत सोहनलाल एबीएसए, हरीप्रसाद प्रधानाध्यापक, वेदपाल सिंह लिपिक और दीपचंद्र गंगवार लिपिक
फर्जी नियुक्तियों, ट्रांसफर पोस्टिंग का था मामला
मुकदमे में यह हैं आरोपी
गड़बड़ी
हाल ही में माध्यमिक और बेसिक शिक्षा में कई शिक्षक पकड़े गए। फर्जीवाड़ा कई स्तर से सामने आया। फर्जी दस्तावेज और नियुक्ति पत्र के जरिये भी लेकिन, यह सिलसिला कोई नया नहीं है। फर्जी शिक्षक भर्ती का रैकेट वर्षो से संचालित है। यही वजह है, बेसिक शिक्षा विभाग ने ही कुछ साल पहले खुले 16 फर्जी नियुक्तियों और ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामले को दफन करने के सारे इंतजाम कर दिए। विजिलेंस लंबे समय से इन आरोपियों के मूल दस्तावेज विभाग से मांग रही थी। नोटिसों को नजरअंदाज करने के बाद दिए जवाब में पूरा मामला ही दफन कर दिया। प्रकरण विवेचक दयाराम सिंह के मुताबिक शिक्षा विभाग ने कहा है कि इन आरोपियों के मूल दस्तावेज दीपचंद नाम के बाबू के पास थे, जिसकी वर्ष 2009 में हत्या हो चुकी है। हालांकि विजिलेंस ने विवेचना में दस्तावेजों की फोटोस्टेट कॉपी शामिल की हैं लेकिन वह सजा दिलाने में कोर्ट में कितना कारगर साबित होंगी, यह वक्त ही बताएगा
No comments:
Write comments