मांग : शिक्षामित्रों के तबादले की भी जल्द शुरू हो प्रक्रिया, निर्देश के बाद अभी तक तबादले की प्रक्रिया शुरू नहीं होने से शिक्षामित्र ऊहापोह में
लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में नियमित शिक्षकों की तबादला प्रक्रिया तो शुरू हो गई है लेकिन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों का मूल विद्यालय में वापसी व महिला शिक्षामित्रों को उनके ससुराल के पास तबादले की प्रक्रिया अब तक नहीं शुरू हुई है।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने कहा कि पूर्व में जारी निर्देश के बाद अभी तक तबादले की विभागीय प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। एक अप्रैल से स्कूलों में बच्चों का नया सत्र शुरू हो चुका है।
ऐसे में महिला शिक्षामित्र जो ससुराल के पास वापस जाना चाहती हैं। वह असमंजस में हैं कि वह अपने बच्चों का नामांकन वर्तमान स्थान पर कराएं या नहीं। संघ ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा को पत्र भेजकर मांग की है कि समस्या का जल्द समाधान किया जाए।
लंबा होता जा रहा आठ साल बाद घर वापसी का इंतज़ार, जानिए! शासनादेश जारी होने के बाद अब कहां फंस रहा शिक्षामित्रों की घरवापसी में पेच?
17 मार्च 2025
आठ साल के इंतजार के बाद आदेश हुआ था कि शिक्षा मित्र अपने घर के नजदीकी स्कूलों में आ सकेंगे। यह शासनादेश तीन जनवरी को हुआ था। उसके बाद से शिक्षामित्र फिर इंतजार कर रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग ने अब तक तबादला प्रक्रिया शुरू नहीं की है और न इस बाबत कोई नया आदेश आया है।
ऐसे दूर हुए थे शिक्षामित्र
सपा सरकार में प्रदेश के करीब 1.37 लाख शिक्षा मित्रों को शिक्षक बनाया गया था। शिक्षक बनने पर उनको दूर-दराज के ब्लॉक में पोस्टिंग दी गई थी। शिक्षक बनने पर उन्होंने खुशी-खुशी दूर-दराज के स्कूलों में जाना स्वीकार कर लिया। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उनका बतौर शिक्षक किया गया समायोजन रद्द कर दिया गया। वे फिर से शिक्षा मित्र बन गए। ऐसे में उनका मानदेय फिर से 10 हजार ही रह गया लेकिन उनकी तैनाती वहीं रह गई जहां वे शिक्षक बन कर गए थे और वे अपने घर से दूर हो गए।
सरकार ने 2018 में शिक्षा मित्रों को अपने मूल विद्यालय में आने का मौका दिया था। ऐसे में करीब एक लाख शिक्षा मित्र तो उस समय वापस आ गए। बाकी करीब 35 हजार शिक्षा मित्र शिक्षक बनने उम्मीद में अपने मूल विद्यालय में नहीं आए। उन्हें उम्मीद थी कि कोर्ट से लेकर सड़क तक लड़ाई लड़ी जा रही है। ऐसे में वे शिक्षक बन सकते हैं। नए शासनादेश ने उनको मौका दिया है कि वे अपने घर के नजदीकी स्कूल में आ सकते है लेकिन अब तक प्रक्रिया शुरू न होने से निराश है।
दरअसल, कुछ ऐसी महिला शिक्षा मित्र भी है, जिनकी शादी हो गई है। कुछ की शादी दूसरे जिले में और कुछ की जिले में ही काफी दूर हो गई है। शासनादेश के अनुसार, उनको अपनी ससुराल के नजदीकी स्कूल में जाने का मौका भी मिलेगा।
सूत्रों के अनुसार, शासन स्तर पर इसी को लेकर फिर नया पेंच फंस गया है। अधिकारी यह तर्क भी दे रहे हैं कि शिक्षामित्र संविदा पर हैं। नियमित महिला शिक्षकों को तो तबादलों में ससुराल का विकल्प चुनने का मौका दिया जा सकता है, संविदा कर्मी को नहीं। इसे ध्यान में रखते हुए शासनादेश में संशोधन को लेकर भी अधिकारियों में मंथन चल रहा है। इसी वजह से तबादला प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है।
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