लहरों को साहिल की दरकार नहीं होती, हौसलों के आगे कोई दीवार नहीं होती। जलते हुए चिराग नें आंधियों से कहा, हिम्मत हो तो बुझा के दिखा, जलने के लिए मुङो कोनों की दरकार नहीं होती। कुछ इन्हीं पंक्तियों को साकार कर रही है ज्ञानपुर ब्लाक क्षेत्र के पूर्व माध्यमिक विद्यालय कोइलरा में बतौर प्रभारी प्रधानाध्यापक तैनात ज्योति कुमारी।
कुछ अलग करने की सोच का नतीजा ही है कि विद्यालय में शिक्षण कार्य के साथ अवकाश के दिनों में कभी पेटिंग तो कभी सिलाई-कढ़ाई से लेकर खिलौने तैयार करने तक का प्रशिक्षण देकर न सिर्फ नौनिहालों में हुनर के रंग भर रही हैं बल्कि परिषदीय विद्यालय के प्रति लोगों की सोच में भी बदलाव लाने का बेहतर प्रयास कर रही हैं। मकसद सिर्फ इतना की जब बच्चे काबिल होकर निकलेगें तो कहीं न कहीं उनकी सफलता के पीछे उनका नाम भी जुड़ा नजर आएगा। जी हां बात हो रही है मखमली हस्तनिर्मित कालीनों के जरिए समूचे विश्व में अपनी पहचान कायम कर चुके कालीन नगरी भदोही के गोपीगंज नगर निवासी ज्योति कुमारी की। आज के भौतिकवादी दौर में जब कि प्रत्येक व्यक्ति अधिकाधिक धनार्जन की लालसा में जुटा हुआ है। विशेषकर परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के समय से आने व जाने को लेकर हमेशा शिकायत उठती रहती है। यहां तक की परिषदीय विद्यालय में अपने बच्चों का नामांकन कराने की बात आते ही लोग नाक,भौं सिकोड़ने लगते हैं। अपने बच्चों को वहां भेजना नहीं चाहते थे। ऐसे समय में भी पूर्व माध्यमिक विद्यालय कोइलरा में तैनात ज्योति कुमारी अपनी मेहनत की बदौलत शिक्षा व्यवस्था को नया आयाम देने में जुटी हुई हैं। वर्ष 2009 में प्राथमिक विद्यालय शिवरामपुर में बतौर सहायक अध्यापक तैनाती के बाद जब उनका तबादला पूर्व माध्यमिक विद्यालय कोइलरा में हुआ तो उन्होंने कुछ अलग करने की ठानी। बच्चों को शिक्षा के साथ अवकाश के दिनों में पेंटिंग, सिलाई कढ़ाई, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ सामान्य ज्ञान प्रतियोगिताओं के जरिए बच्चों के ज्ञान का वर्धन करने के साथ उन्हें हुनरमंद भी बनाने की ठानी तो उनका यह सफर मिशन शिक्षण संवाद में तब्दील हो उठा।
उन्होंने बताया कि गर्मी की छुट्टी में विशेष समर कैंप तो प्रत्येक माह के अंतिम शनिवार को सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता आयोजित कराती हैं। बताया कि इसके पीछे उनका स्वार्थ बस इतना है कि बच्चे काबिल होकर आगे जाएं। बच्चे काबिल हो यही गुरुजनों का सबसे बड़ा पुरस्कार होता है। जब बच्चे किसी मुकाम पर पहुंचेगे तो निश्चित ही उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक की भी पहचान कायम होगी।’
प्रभारी प्रधानाध्यापक ज्योति बदल रही परिषदीय विद्यालय के प्रति सोच गर्मी में विशेष समर कैंप तो प्रत्येक माह के अंतिम शनिवार को कार्यक्रमबच्चों को कढ़ाई सिखाती ज्योति कुमारी
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