DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Monday, October 12, 2020

फतेहपुर : निःशक्त बच्चों को पढ़ाने को सिर्फ 35 शिक्षक, विशेष शिक्षकों की कमी का खामियाजा भुगतेंगे निःशक्त बच्चे

फतेहपुर : निःशक्त बच्चों को पढ़ाने को सिर्फ 35 शिक्षक, विशेष शिक्षकों की कमी का खामियाजा भुगतेंगे निःशक्त बच्चे।


फतेहपुर। जिले के 3275 निःशक्त बच्चों को अनिवार्य शिक्षा अधिनियम का लाभ नहीं मिल रहा है। विशेष शिक्षकों की कमी का खामियाजा निःशक्त बच्चों को भुगतना पड़ रहा है फिलहाल बेसिक शिक्षा विभाग के पास 700 निःशक्त बच्चों को पढ़ाने के लिए 35 शिक्षक हैं, जबकि जिले में छह से 14 वर्ष बीच के 3975 निःशक्त बच्चे हैं जो विद्यालयों में पंजीकृत हैं। बाकियों की पढ़ाई भगवान भरोसे चल रही है। 



बेसिक शिक्षा विभाग के अभिलेखों में जिलेभर में छह से 14 वर्ष के बच्चों की संख्या 3975 है। यह संख्या जुलाई के बाद हुए सर्वे रिपोर्ट में अंकित है। अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के तहत इन बच्चों को भी पढ़ाई की व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण निःशक्त बच्चों के पढ़ने की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। जिले में निःशक्त बच्चों को पढ़ाने वाले 35 विशेष शिक्षकों की नियुक्ति है। एक शिक्षक को अधिकतम 20 निःशक्त बच्चे या फिर चार स्कूलों में निःशक्त बच्चों को पढ़ाने का मानक है। ऐसे में सभी शिक्षक मिलाकर कुल 700 बच्चों को ही पढ़ा पा रहे हैं। शेष 3275 निःशक्त बच्चे पढ़ाई के अधिकार से वंचित हैं। यह सब जानते हुए भी बेसिक शिक्षा विभाग चुप्पी साधे हुए है। 

खास बात तो यह है कि स्कूल चलो अभियान के तहत निशक्त बच्चों का भी स्कूलों में पंजीयन तो करा दिया गया है, लेकिन यह परिषदीय स्कूलों में सिर्फ बैठे रहते हैं। परिषदीय स्कूलों में तैनात सामान्य शिक्षक इन्हें पढ़ाना भी चाहें, तो यह के बूते की बात नहीं है। बीएसए शिवेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि सर्वे में शामिल सभी निशक्त बच्चों का परिषदीय स्कूलों में दाखिला है। विभाग का प्रयास है कि सभी निःशक्त बच्चों के पढ़ाई की व्यवस्था हो। ऐसे में सामान्य शिक्षक भी स्कूलों में पंजीकृत बच्चों को पढ़ाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं।


बेसिक शिक्षा विभाग के पास 700 निःशक्त बच्चों के पढ़ाने की व्यवस्था, बेसिक शिक्षा विभाग की सर्वे रिपोर्ट में निशक्त बच्चों की संख्या 3975

निशक्तता की श्रेणी पर एक नजर    

नेत्रहीन निशक्तः 300

मानसिक निशक्त : 800

श्रवण निशक्तः 600

बहु निशक्त : 200

हाथ पैर से निशक्त : 2075

No comments:
Write comments