DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Thursday, January 14, 2021

फतेहपुर : बिजली विभाग को जारी बजट की पत्रावली गायब, बेसिक शिक्षा विभाग के प्रयास के बाद नहीं मिल रहा रिकार्ड, 2017 से जारी होने वाली धनराशि की हो रही है मानीटरिंग

फतेहपुर : बिजली विभाग को जारी बजट की पत्रावली गायब, बेसिक शिक्षा विभाग के प्रयास के बाद नहीं मिल रहा रिकार्ड, 2017 से जारी होने वाली धनराशि की  हो रही है मानीटरिंग

फतेहपुर : बिजली विभाग को जारी बजट की फाइल बेसिक शिक्षा विभाग से गायब हो गई है। विभाग ने चार करोड़ से ज्यादा का बजट 2009 से 2013 के बीच जारी किया था। इससे 1550 विद्यालयों में कनेक्शन कराए जाने थे। प्रति स्कूल 26 हजार 9 सौ 88 रुपये का बजट दिया गया था। अब विभाग को फाइल खोजे नहीं मिल रही हैं। ऐसे में पूरे मामले में बड़ा खेल होने की आशंका प्रबल होती दिख रही है।


बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय स्कूलों में पहली बार 2008-09 से विद्युतीकरण की शुरुआत हुई थी। पहली बार 451, दूसरे साल दो किस्तों में 461, तीसरी तीसरे साल 100 और 2012-13 में 138 स्कूलों के विद्युतीकरण के लिए धनराशि आवंटित की गई थी। प्रत्येक स्कूल में 1788 रुपये से वायरिंग, 2200 रुपये से कनेक्शन और 7500 रुपये से पंखे आदि सामग्री को खरीद की जानी थी। 

लगातार चार वित्तीय सालों में चार करोड़ की धनराशि खर्च होने के बाद बिजली विभाग ने सिर्फ 227 स्कूलों में कनेक्शन कराने की रिपोर्ट दी थी। जबकि 1550 स्कूलों के विद्युतीकरण के लिए बजट जारी हुआ था। खास बात ये है कि बेसिक शिक्षा विभाग करोड़ों रुपये की इस धनराशि को भूल चुका है।

विभाग पहले से जारी बजट को लेकर बिजली विभाग से कुछ जानने की कोशिश तक नहीं कर रहा है। 2017 से जारी होने वाली धनराशि की मानीटरिंग हो रही है। पहले जमा करोड़ों की धनराशि की असलियत जानने तक की कोशिश अधिकारी नहीं कर रहे हैं। ऐसे में प्रतीत हो रहा है कि करोड़ों रुपये के इस बजट में बेसिक शिक्षा विभाग और बिजली विभाग दोनों ने मिलकर मामले में खेल किया है। यही कारण है कि दोनों विभाग इसकी तह तक जाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। बीएसए शिवेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि विभाग का बहुत सारा रिकार्ड पुरानी तहसील स्थित डीपीईपी कार्यालय में डंप हैं यहां पर कर्मचारी लगाकर पुरानी पत्रावलियां तलाशी जा रही हैं। रिकार्ड मिलने पर सही स्थिति का पता लगेगा अभी तक तो बिजली विभाग ही उनके विभाग पर कर्ज निकाल रहा है।



फतेहपुर : साढ़े पांच करोड़ खर्च, 70 फीसदी स्कूल नहीं हुए रोशन, स्कूलों की संख्या से अधिक कनेक्शनों के लिए जारी हो चुकी है धनराशि
 
फतेहपुर : करोड़ों खर्च होने के बाद भी जिले के 1550 परिषदीय विद्यालय रोशन नहीं हो पाए। बेसिक शिक्षा विभाग से जारी बजट में बिजली विभाग ने स्कूलों में कनेक्शन देने के नाम पर बड़ा खेल किया है।


स्कूलों की संख्या से ज्यादा कनेक्शन का पैसा लेने के बावजूद 70 फीसदी स्कूल अंधेरे में हैं। जबकि इस पर साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा की रकम खर्च हो चुकी है।

जिले के कुल 2650 स्कूलों में ग्रामीण क्षेत्र के बहुतायत परिषदीय स्कूल अभी तक बिजली कनेक्शन से वंचित हैं। खास बात ये है कि बेसिक शिक्षा विभाग ने कनेक्शन विहीन स्कूलों में भी वायरिंग की औपचारिकता पूरी करा रखी है।

इसके साथ ही लगाए गए पंखे आदि भी गायब हो चुके हैं। ऐसे में स्कूलों में होने वाली चोरियों के शोपीस बने पंखे मुख्य कारण हैं। चोर सीधे पंखा और गैस सिलिंडरों को निशाना बना रहे हैं।

खास बात तो ये है कि विभाग का साढ़े पांच करोड़ खर्च भी हो गया, लेकिन इसका लाभ बच्चों को नाम मात्र ही मिल पाया है। स्थिति ये बन रही है कि जिन स्कूलों में कनेक्शन भी हैं, वहां के पंखे आदि चोरी होने के कारण बच्चों को कनेक्शन का लाभ नहीं मिल रहा है।

जिले में दो बार अधिशासी अभियंता विद्युत की जिम्मेदारी संभाल चुके सरोज कुमार का कहना है उनके कार्यकाल में दो बार चुनाव के समय कनेक्शन के लिए धनराशि आई थी।

उन्होंने करीब सात सौ कनेक्शन जोड़े गए थे, लेकिन बाद में लोग केबल खोल ले गए। केबल की सुरक्षा की जिम्मेदारी बिजली विभाग की नहीं है। उनके कर्मचारी मीटर लगाने गए थे, लेकिन केबल न होने के कारण वह लौट आए।

ऐसे में कनेक्शन शो नहीं हो पाए होंगे। इस संबंध में बेसिक शिक्षा विभाग को लिखा गया था, लेकिन उसने केबल की व्यवस्था नहीं की थी। यही कारण है कि कुछ स्कूलों में कनेक्शनों के लेखा जोखा गायब है।

जितनी भी धनराशि बेसिक शिक्षा विभाग ने जमा की थी, उसकी रसीद दी गई थी। बेसिक शिक्षा विभाग रसीद प्रस्तुत कर जमा धनराशि का हिसाब किताब कर सकता है।

बीएसए शिवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि पुरानी पत्रावलियां स्टोर में डंप हैं। इनकी तलाश के लिए दो लिपिक लगाए गए हैं। पत्रावली मिलने पर बिजली विभाग से पत्राचार किया जाएगा।




फतेहपुर : जो स्कूल कभी बने नहीं उनके कनेक्शन के लिए भी जारी हो गया बजट, परिषदीय स्कूलों में बिजली कनेक्शन के नाम पर भारी गोलमाल 

फतेहपुर : बेसिक शिक्षा विभाग के कारनामे भी न्यारे हैं। जहां कई विभाग बजट न मिलने का रोना रो रहे हैं वहीं बेसिक शिक्षा विभाग ऐसे स्कूलों में भी बिजली कनेक्शन के लिए पैसा दे रहा है जो कभी बने ही नहीं।


बिजली विभाग ने पिछले कुछ सालों में कई किस्तों में 3435 परिषदीय स्कूलों में बिजली कनेक्शन के लिए कुल पांच करोड़ 63 लाख 38 हजार 220 रुपये का बजट जारी किया है।

जबकि जिले में कुल परिषदीय स्कूलों की संख्या 2650 है। यानि बेसिक शिक्षा विभाग ने 785 ऐसे स्कूलों में कनेक्शन के लिए साढ़े 54 लाख रुपये का अतिरिक्त बजट बिजली विभाग को जारी कर दिया जिनका जमीन पर नामोनिशान ही नहीं है।

परिषदीय स्कूलों में बिजली कनेक्शन के नाम पर भारी गोलमाल सामने आया है। जिले में 1903 प्राथमिक और 747 उच्च प्राथमिक विद्यालयों को मिलाकर कुल 2650 स्कूल हैं।

बेसिक शिक्षा विभाग ने 2008 से लेकर 2013 के बीच जिले के सभी पुराने 1550 स्कूलों में वायरिंग और विद्युत कनेक्शन लिए 26988 रुपये प्रति स्कूल के हिसाब से चार किस्तों में बजट जारी किया था। इस तरह से 2016 से लेकर अब तक प्रति स्कूल 6955 रुपये के हिसाब से 1885 स्कूलों में बिजली कनेक्शन के लिए धनराशि बिजली विभाग को भेजी जा चुकी है। (संवाद)

आठ साल पहले स्कूलों में कराए गए बिजली कनेक्शन का विभाग के पास कोई रिकार्ड नहीं है। तत्कालीन पटल प्रभारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। पुराना रिकार्ड खोजा जा रहा है। 2016 से रिकार्ड मौजूद है। सभी बीईओ से अपने-अपने क्षेत्र में स्कूल कनेक्शनों का ब्योरा मांगा गया है। बजट शासन से सीधा भेजा जा रहा है। यही कारण है कि यह गड़बड़ी हो रही है। - शिवेंद्र प्रताप सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी
.
विभाग में जितने कनेक्शन की धनराशि जमा की जाती है, उतने कनेक्शन जोड़ दिए जाते हैं। - विनोद कुमार गंगवार, अधीक्षण अभियंता विद्युत


फतेहपुर : बिजली विभाग ने पैसा तो लिया,  नहीं किया काम

बेसिक शिक्षा विभाग ने 5.63 करोड़ रुपये बिजली विभाग को दिए, पर अभी तक 1550 स्कूलों में बिजली नहीं पहुंची, बिजली कनेक्शन में खेल

फतेहपुर :  परिषदीय विद्यालयों में बिजली कनेक्शन के नाम पर तगड़ा खेल हुआ है। बिजली कनेक्शन के लिए बिजली विभाग ने पैसा तो खूब लिया, लेकिन काम कराने में पीछे रहा। 3435 स्कूलों में बिजली कनेक्शन कराने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग से बजट लेने के बाद बिजली विभाग ने सिर्फ 1100 स्कूलों में कनेक्शन कराया। कई स्कूलों में कनेक्शन के अलावा वायरिंग, पंखा, एलईडी आदि व्यवस्था करने के लिए भी बजट बिजली विभाग ने लिया, लेकिन काम कराने में पीछे रह गया बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से 5.63 करोड़ रुपये बिजली विभाग को दिया गया, लेकिन अभी तक 1550 स्कूलों में बिजली तक नहीं पहुंच पाई है।

परिषदीय स्कूलों में 2008-09 से विद्युतीकरण के लिए बजट जारी हो रहा है, लेकिन 12 साल बाद भी अभी तक 1550 स्कूल बिजली कनेक्शन विहीन हैं। 2012-13 तक प्रति स्कूल 26988 रुपये प्रति स्कूल की दर से विद्युतीकरण के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने बिजली विभाग को बजट जारी किया था इसमें एक स्कूल में 1788 वायरिंग, 7500 ट्यूबलाइट व पंखे आदि की खरीद होनी थी। इनके अलावा प्रत्येक स्कूल में कनेक्शन के लिए 2200 रुपये की धनराशि शामिल है। यानी तब बिजली विभाग को 1550 स्कूलों में बिजली से जुड़ी व्यवस्था कराने के लिए चार करोड़ 18 लाख 31 हजार 400 रुपये की धनराशि दी गई । लेकिन जानकर आश्चर्य होगा कि इतनी मोटी रकम लेने के बाद विभाग ने सिर्फ 227 कनेक्शन ही किए। यानी 26988 रुपये प्रति स्कूल के हिसाब से विभाग ने सिर्फ 61 लाख 26 हजार 276 रुपये ही खर्च किए।

जबकि तीन करोड़ 57 लाख पांच हजार 124 रुपये बिजली विभाग हजम कर गया। बेसिक शिक्षा विभाग भी इतनी मोटी रकम देने के बाद भूल गया ।

2008 से 2013 तक ली गई धनराशि का कोई लेखाजोखा नहीं

बिजली विभाग को कई बार पत्र लिखा

हालांकि 2008-09 से 2012-13 तक जिले में बीएसए का चार्ज संभालने वाले राजकुमार पंडित और आरपी यादव ने कई बार बिजली विभाग को इस बाबत पत्र लिखा, लेकिन विभाग टालमटोल करता रहा। धीरे-धीरे मामला पुराना होने पर ठंडे बस्ते में चला गया। 2017 से अब तक चार किस्तों में बिजली विभाग को सिर्फ कनेक्शन देने के लिए इस्टीमेट शुल्क के रूप में प्रति स्कूल 6955 रुपये की दर से कुल 1885 स्कूलों का बजट आवंटित किया गया है। खास बात यह है कि जिले में कुल 2650 स्कूल हैं। इनमें पहले 1550 स्कूलों में कनेक्शन के लिए बिजली विभाग धनराशि ले चुका है । इसके बाद कनेक्शन के लिए जिले में 1100 स्कूल बचते हैं। ऐसी हालत में 785 स्कूलों में कनेक्शन जोड़ने की अतिरिक्त धनराशि ली गई है। इस तरह से बिजली विभाग ने पांच करोड़ 63 लाख 38 हजार 220 की भारी भरकम धनराशि लेकर मुट्ठी भर कनेक्शन ही कराया है।

No comments:
Write comments