बीच में छोड़ और शुरू कर सकेंगे उच्च शिक्षा, UGC ने सिफारिश के अमल को लेकर तैयार किए गए दिशा-निर्देशों का जारी किया है मसौदा
किसी भी कोर्स में न्यूनतम एक वर्ष की पढ़ाई करना होगा अनिवार्य, फिर मिलेगा प्रमाणपत्र
नई दिल्ली: उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र अब अपनी पढ़ाई को बीच में कभी भी छोड़ और शुरू कर सकेंगे। हालांकि, इसके लिए उन्हें कम से कम एक वर्ष की पढ़ाई पूरी करनी होगी। इस दौरान उन्हें स्नातक पाठ्यक्रमों में एक वर्ष की पढ़ाई पर सर्टिफिकेट दिया जाएगा जबकि दो वर्ष की पढ़ाई पर डिप्लोमा, तीन वर्ष की पढ़ाई पूरा करने पर डिग्री और चार वर्ष की पढ़ाई पूरा करने पर आनर्स की डिग्री मिलेगी। इतना ही नहीं, छात्र अपनी बीच में छोड़ी गई पढ़ाई को आजीवन कभी भी पूरा कर सकेंगे। पूर्व में की गई उनकी पढ़ाई के क्रेडिट अंक उनके एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट (एबीसी) में जमा रहेंगे।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में उच्च शिक्षा को लचीला बनाने को लेकर की गई इस अहम सिफारिश के अमल को लेकर तैयार किए गए दिशा-निर्देशों का मसौदा जारी किया है। इसके साथ ही उच्च शिक्षण संस्थानों से 30 जुलाई तक सुझाव देने को कहा है। यूजीसी ने इस दौरान सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों का एक समान क्रेडिट फ्रेमवर्क तैयार करने कहा है, ताकि किसी संस्थान से पढ़ाई करके निकले छात्र को दूसरे संस्थान में दाखिला लेने में किसी तरह की दिक्कत न पैदा हो।
यही नहीं, आयोग ने एक समान क्रेडिट फ्रेमवर्क और लर्निंग आउटकम के आधार पर उच्च शिक्षण संस्थानों का एक कलस्टर भी तैयार करने का सुझाव दिया है, ताकि बीच में पढ़ाई छोड़ने के बाद छात्रों को उन संस्थानों में आसानी से दाखिला मिल सके। यह व्यवस्था आनलाइन डिग्री कोर्सों पर लागू नहीं होगी।
गौरतलब है कि एनईपी में उच्च शिक्षा को लचीला बनाने से जुड़ी इस अहम सिफारिश के अमल के लिए यूजीसी ने यह तेजी ऐसे समय दिखाई है, जब एनईपी के अमल को पांच साल पूरा होने जा रहा है। देश में एनईपी को 29 जुलाई 2020 को लागू किया गया है।
विश्वविद्यालयों में क्रेडिट वैधता की समय सीमा अलग-अलग
यूजीसी ने पढ़ाई को कभी भी छोड़ने और शुरू करने के अमल को लेकर जारी मसौदे में साफ कहा है कि छोड़ी गई पढ़ाई को छात्र आजीवन कभी भी शुरू कर सकते है। बशर्ते उनके क्रेडिट की वैधता बरकरार हो। सभी विश्वविद्यालयों ने क्रेडिट की वैधता की अलग-अलग समय सीमा तय कर रखी है। वैसे औसतन यह पांच से दस वर्ष की है। बावजूद इसके यूजीसी ने कहा है कि कोई छात्र अपनी छूटी पढ़ाई को पूरा करना चाहता है तो वह क्रेडिट वैधता खत्म होने के बाद भी अपनी पूर्व पढ़ाई की मान्यता के लिए आवेदन कर सकता है। उनके खत्म हो चुके क्रेडिट का फिर से मूल्यांकन होगा।
No comments:
Write comments