लखनऊ: शुल्क प्रतिपूर्ति व छात्रवृत्ति मामले में नियम बदलने, खूब सख्ती के बावजूद प्रदेश में हुए आवेदनों में 11 लाख से ज्यादा संदिग्ध पाए गए हैं। तीस बिंदुओं पर पड़ताल कर संदिग्ध आवेदन चिह्नित किये गए हैं। इन सबको वापस भेजकर संबंधित संस्थानों से एक माह भीतर जवाब मांगा गया है। संदेहों का समाधान न होने पर इन संस्थानों का कोई भुगतान नहीं होगा।
दसवीं के बाद धनाभाव में पढ़ाई न रुकने देने के लिए दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में तमाम गड़बड़ियां व करोड़ों को घोटाला सामने आने के बाद न सिर्फ कई संस्थान काली सूची में डाले गए, बल्कि पूरी प्रक्रिया में खासी सख्ती कर दी गयी थी। नियम बदलने के बावजूद फर्जीवाड़ा करने वाले बाज नहीं आए और समाज कल्याण विभाग ने 30 बिंदुओं पर मामलों की जांच कराई तो कुल 33,37,461 आवेदनों में से 11,42,066 आवेदन संदिग्ध पाए गए। इनमें सर्वाधिक 2,42,772 आवेदन तो ऐसे हैं, जिन्होंने विभिन्न प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में दूसरे, तीसरे, चौथे या पांचवें वर्ष में प्रवेश लिया है। अब इन आवेदनों को वापस कर जिला समाज कल्याण अधिकारियों, पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारियों व अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों से कहा गया है कि वे संस्थानों से जवाब मांगें।
10 जनवरी तक ऑनलाइन जवाब दर्ज किये जाएं। इसके बाद गड़बड़ पाए गए विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति तो नहीं ही मिलेगी, दोषी संस्थानों पर भी कड़ी कार्रवाई होगी।
आय प्रमाणपत्रों का फर्जीवाड़ा : तमाम बंदिशों के बावजूद फर्जी आय प्रमाणपत्रों का बोलबाला रहा है। 94,987 आवेदकों के आय प्रमाणपत्र राजस्व आंकड़ों से मेल नहीं खाते तो 1,06,672 आवेदकों की आय राजस्व आंकड़ों से अलग निकली। 1,19,747 छात्र-छात्रओं ने एक ही आय प्रमाणपत्र क्रमांक का प्रयोग पिता का नाम बदल-बदल कर किया था। 757 मामलों में एक से अधिक आवेदनों में आय प्रमाणपत्र का क्रमांक समान होने के साथ पिता का नाम भी वही था, वहीं 1244 मामले ऐसे मिले, जिनमें एक ही आय प्रमाणपत्र क्रमांक के साथ पिता का नाम तीन बार से अधिक इस्तेमाल किया गया था।
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