DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बाँदा बांदा बागपत बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर लख़नऊ वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Friday, September 19, 2025

गणित के पाठ्यक्रम मसौदे में गंभीर कमियां, 900 से ज्यादा शोधकर्ताओं और गणितज्ञों ने की यूजीसी से मांग

गणित के पाठ्यक्रम मसौदे में गंभीर कमियां, 900 से ज्यादा शोधकर्ताओं और गणितज्ञों ने की यूजीसी से मांग


900 से ज्यादा गणितज्ञों ने यूजीसी अध्यक्ष को दिए प्रतिवेदन में कहा, इससे छात्रों पर बुरा असर पड़ेगा

पिछले महीने यूजीसी ने गणित समेत नौ विषयों के स्नातक पाठ्यक्रम का मसौदा जारी कर मांगा था सुझाव


नई दिल्ली । 900 से ज्यादा शोधकर्ताओं और गणितज्ञों ने यूजीसी से गणित के स्नातक पाठ्यक्रम के मसौदे को वापस लेने की अपील की है। उनका कहना है कि इसमें कई गंभीर कमियां हैं और अगर इसे लागू किया गया तो कई पीढ़ियों के छात्रों पर बुरा असर पड़ेगा। पिछले महीने यूजीसी ने गणित सहित नौ विषयों के स्नातक पाठ्यक्रम का मसौदा जारी किया था और इस पर सुझाव मांगा था। 


यूजीसी अध्यक्ष को भेजे गए प्रतिवेदन में कहा गया है कि इसमें बीजगणित, वास्तविक विश्लेषण और व्यावहारिक गणित जैसे विषयों को पर्याप्त रूप से शामिल नहीं किया गया है। बताते चलें, इस मसौदे में चार साल के स्नातक कार्यक्रम की परिकल्पना की गई है, जो छात्रों को दाखिला लेने और पढ़ाई छोड़ने का विभिन्न विकल्प प्रदान करता है। मसौदा पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत लर्निंग आउटकम आधारित फ्रेमवर्क के अनुसार तैयार किया गया है।


भारतीय ज्ञान परंपरा पर यूजीसी का जोरः यूजीसी द्वारा जारी स्नातक गणित पाठ्यक्रम में काल गणना (पारंपरिक भारतीय समय गणना), भारतीय बीजगणित, भारतीय परंपरा में पुराणों का महत्व और नारद पुराण में पाए जाने वाले बुनियादी अंकगणित और ज्यामिति से संबंधित गणितीय अवधारणाओं और तकनीकों पर ध्यान दिया गया है। यूजीसी ने भारतीय बीजगणित के इतिहास और विकास तथा परावर्त्य योजयेत सूत्र (एक पारंपरिक वैदिक गणित तकनीक) का उपयोग करके बहुपदों का विभाजन सिखाने की सिफारिश की है।


पंचांग और शुभ मुहूर्त को भी शामिल किया गया है: स्नातक गणित पाठ्यक्रम में पंचांग (भारतीय कैलेंडर) जैसी अवधारणाओं को सिखाने का प्रस्ताव है। यह भी बताया गया है कि यह रीति-रिवाजों और त्योहारों में इस्तेमाल होने वाले शुभ समय (मुहूर्त) का निर्धारण कैसे करता है। प्रस्तावित पाठ्यक्रम खगोल विज्ञान, पौराणिक कथाओं और संस्कृति का मिश्रण है, जो भारत के समृद्ध समय-विज्ञान को जीवंत बनाता है।


गणितज्ञों की ये हैं आपत्तियां

गणितज्ञों ने प्रतिवेदन में कहा है-व्यावहारिक गणित और बीजगणित को उचित महत्व नहीं दिया गया है। स्नातक पाठ्यक्रम में बीजगणित के कम से कम तीन कोर्स होने चाहिए। देश में गणित और सभी वैज्ञानिक गतिविधियों का भविष्य खतरे में है।

प्रोग्रामिंग, संख्यात्मक विधियों व सांख्यिकी जैसे व्यावहारिक विषयों का मुख्य पाठ्यक्रम में अभाव है या उन्हें बिना व्यावहारिक प्रशिक्षण के सतही तौर पर प्रस्तुत किया गया है।

सांख्यिकी को एक ही पाठ्यक्रम में जबरदस्ती ठूंस दिया गया है। सांख्यिकी, मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे पाठ्यक्रमों में व्यावहारिक और अनुप्रयोग-आधारित घटक होना स्वाभाविक और सामान्य बात है। इस अवसर को बर्बाद कर दिया गया है।

No comments:
Write comments