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Monday, December 28, 2015

बीएड के बाद भी नहीं दे पा रहे टीईटी, 25 हजार छात्रों का रिजल्ट नहीं जारी कर रहे कॉलेज

लखनऊ :  शासन ने आदेश दिए और कॉलेजों ने सीधे दाखिला ले लिया। ऐसे करीब 25 हजार बीएड छात्र अधर में हैं। ये छात्र न तो टीईटी में शामिल हो पा रहे हैं और न नौकरी के लिए आवेदन। छात्र दो साल से भटक रहे हैं, लेकिन विश्वविद्यालय उनका रिजल्ट जारी नहीं कर रहे। विश्वविद्यालयों का तर्क है कि इन छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय तारीख के बाद दाखिला लिया।

शासन के हस्तक्षेप से दी थी परीक्षा की अनुमति:
बीएड 2013-14 की प्रवेश परीक्षा गोरखपुर विश्वविद्यालय ने कराई थी। पहली काउंसलिंग के बाद काफी सीटें खाली रह गई थीं। उसके बाद कॉलेजों की मांग पर शासन ने कॉलेजों को सीधे दाखिला लेने के आदेश कर दिए थे। उसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने दाखिले का शिड्यूल जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने दाखिले की जो अंतिम तारीख तय की, दाखिले उसके बाद हुए। 

कॉलेजों ने शासन के आदेशों के अनुसार दाखिले किए। यही वजह है कि विश्वविद्यालयों ने पिछले साल इन छात्रों को परीक्षा में ही शामिल होने से रोक दिया। उन्होंने और कॉलेजों ने शासन से गुहार लगाई। शासन के हस्तक्षेप के बाद इन छात्रों को प्रॉविजनल आधार पर परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दे दी। तब से शासन ने सुप्रीम कोर्ट में यह पक्ष नहीं रखा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले सीधे दाखिले की अनुमति दे चुका है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जो अंतिम तारीख तय की, वह उससे पहले की तय कर दी थी। इस वजह से छात्रों का नुकसान हो रहा है। 


विश्वविद्यालयों ने शासन के हस्तक्षेप से परीक्षा में शामिल तो होने दिया। अवमानना की वजह से रिजल्ट जारी नहीं कर रहे। ऐसे में इन छात्रों ने परीक्षा तो दे दी लेकिन रिजल्ट न जारी होने की वजह से टीईटी परीक्षा में शामिल नहीं हो पा रहे। किसी भी नौकरी या अन्य प्रतियोगी परीक्षा में भी वे शामिल नहीं हो पा रहे। 

आगरा विवि के 20 हजार छात्र भी फंसे:
आगरा विवि का बीएड का 2014 का रिजल्ट ही जारी नहीं हुआ है। ऐसे करीब 20 हजार बीएड छात्र भी फंसे हुए हैं। रिजल्ट न जारी होने की वजह से वे भी किसी नौकरी या टीईटी परीक्षा में शामिल नहीं हो पा रहे।

शासन ने दाखिले की अनुमति दी थी। उसे ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह पक्ष रखना चाहिए था कि जो अंतिम तारीख तय की गई थी, उससे पहले दाखिले की अनुमति दी जा चुकी है। इसमें छात्रों का या कॉलेजों का कोई दोष नहीं है। छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए शासन को रिजल्ट के लिए भी विश्वविद्यालयों से कहना चाहिए, जैसे परीक्षा के लिए अनुमति दिलाई थी।  -विनय त्रिवेदी, अध्यक्ष स्ववित्तपोषित महाविद्यालय असोसिएशन

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