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Thursday, April 21, 2016

शिक्षकों को मिल सकता है चुनावी तोहफा , 2005 के बाद नियुक्त बेसिक शिक्षकों की पेंशन के आदेश के बाद बढ़ी उम्मीद , माध्यमिक, उच्च और नगर निकाय , सरकार करवा रही समीक्षा

2005 के बाद नियुक्त बेसिक शिक्षकों की पेंशन के आदेश के बाद बढ़ी उम्मीद , माध्यमिक, उच्च और नगर निकाय , सरकार करवा रही समीक्षा

बेसिक टीचर्स के बाद बाकियों को भी पेंशन की आस
इस बीच राज्य सरकार के ज्यादातर विभागों में नई पेंशन योजना के तहत कटौती शुरू हो गई। बेसिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा और नगर निकायों के कर्मचारियों को नई पेंशन व्यवस्था के तहत भी कटौती नहीं शुरू हुई। सरकार की सबसे बड़ी अड़चन बेसिक शिक्षा विभाग ही था क्योंकि यहां 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों की संख्या सबसे अधिक । सरकार को कर्मचारी के बराबर ही अपने हिस्से से भी बजट मिलाना है। इस वजह से इन विभागों में बजट की व्यवस्था ही नहीं की गई थी। अब चुनावी वर्ष में प्रदेश सरकार ने बचे हुए विभागों में भी नई पेंशन देने का निर्णय लिया है। बेसिक शिक्षा मंत्री ने तो शिक्षकों और कर्मचारियों की पेंशन के आदेश भी कर दिए हैं।

जिन विभागों में नई पेंशन के लिए 10 फीसदी की कटौती हो रही है, वे भी संतुष्ट नहीं हैं। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामराज दुबे कहते हैं कि रिटायरमेंट पर 60% वापसी करने और म्यूचुअल फंड में लगाने जैसी बातें कही जा रही हैं।
माध्यमिक शिक्षा विभाग में 30 हजार शिक्षक कर्मचारी हैं जो 2005 के बाद नियुक्त हुए हैं। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय मंत्री डॉ. आरपी मिश्र कहते हैं कि पिछले दिनों ही विभाग को आकलन कराने के आदेश दिए गए हैं। उम्मीद है कि जल्द पेंशन की व्यवस्था हो जाए। वहीं उच्च शिक्षा में 1000 लोग हैं जिन्हें नई पेंशन मिल रही है और न पुरानी। पूर्व लुआक्टा अध्यक्ष डॉ. मौलीन्दु कहते हैं कि जिन्हें 40 साल में नौकरी मिली है और 10 साल ऐसे गुजर गए, अब भी पेंशन के आदेश न हुए तो उन्हें तो कुछ भी नहीं मिल पाएगा और रिटायर हो जाएंगे। नगर निकायों में 1200 कर्मचारी हैं जो 2005 के बाद नियुक्त हुए। इन विभागों में भी सरकार समीक्षा करवा रही है। स्थानीय निकाय कर्मचारी संघ के नेता मो. अकील कहते हैं कि हमारी मांग पुरानी पेंशन की है।•प्रमुख संवाददाता, लखनऊ

प्राइमरी टीचरों को पेंशन के ऐलान के बाद अब बचे हुए दूसरे सभी विभागों के टीचरों की उम्मीद भी बढ़ गई है। अब माध्यमिक, उच्च शिक्षा और नगर निकाय सहित कुछ गिने-चुने विभाग ही बचे हैं जहां 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों-कर्मचारियों को पेंशन का प्रावधान नहीं है।

केंद्र सरकार ने 2004 के बाद पुरानी पेंशन योजना बंद कर दी थी। नई पेंशन योजना के तहत 10 फीसदी कर्मचारी के हिस्से से और उतना ही सरकार के हिस्से से कटौती का प्रावधान किया गया। इसका भी कुछ हिस्सा शेयर मार्केट में लगाने सहित कई शर्तें होने की बात कही गई। राज्य कर्मचारियों के लिए भी यही बात हुई तो सभी जगह नई पेंशन योजना का विरोध हुआ। वे पुरानी व्यवस्था बहाल करने की मांग करते रहे।

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