लखनऊ। राजधानी के परिषदीय और एडेड स्कूलों में कक्षा आठ तक पढ़ने वाले बच्चों को दूध और फल देने का दावा पूरी तरह से हवा-हवाई साबित हो रहा है। पिछले साल राज्य सरकार ने बिना बजट के ही बच्चों को प्रत्येक बुधवार को कढ़ी-चावल के साथ 200 मिली दूध वितरण का फरमान जारी कर दिया। कुछ दिनों के बाद दूध देने की योजना कागजों पर ही चल रही है। अब इस साल बच्चों को फल देने का फरमान जारी किया गया है। इसकी शुरुआत एक अप्रैल से की जानी थी, पर अब तक आदेश ही नहीं जारी हुआ। ऐसे में बुधवार को बच्चों को दूध और फल के लिए इंतजार करना होगा।
राजधानी में करीब 1839 परिषदीय विद्यालयों के साथ ही एडेड व मदरसों में कक्षा एक से आठ तक पढ़ने वाले बच्चों को मिड-डे-मील देने की व्यवस्था है। पिछले वर्ष 15 जुलाई से बच्चों को खाने के साथ-साथ हर बुधवार 200 मिलीलीटर दूध देने की व्यवस्था की गई। बजट के अभाव में अक्षयपात्र संस्था ने दूध देने से हाथ खड़े कर दिए। अक्षय पात्र ने दूध की जगह खीर देने की बात कही। वहीं अक्षय पात्र के दूध न देने की वजह से एनजीओ ने भी कुछ ही दिन में दूध वितरण से हाथ खड़े कर दिए। नतीजा बच्चों को अब दूध नहीं दिया जा रहा। अब इस साल दूध के साथ ही फल देने का दावा कर दिया गया लेकिन अभी तक बच्चों को फल मिलने की शुरुआत नहीं हुई।
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