जागरण संवाददाता, देवरिया : परिषदीय विद्यालयों के बच्चे स्कूल खुलने के बाद भी किताबों का संकट ङोल रहे हैं। बच्चों को बांटने के लिए अभी तक निश्शुल्क किताबों का अता-पता नहीं है। ऐसे में शासन की ‘सब पढ़े-सब बढ़े’ की मंशा कैसे पूरी होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सूत्रों की माने तो कुछ बच्चों को शिक्षकों द्वारा पुरानी किताबें दी गई हैं, जिससे वे फिलहाल पढ़ाई कर रहे हैं।1जनपद में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक मिलाकर कुल 2621 विद्यालय संचालित हैं। इनमें से 1875 प्राथमिक व 746 उच्च प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं। इन विद्यालयों में लगभग पौने तीन लाख छात्र-छात्रएं अध्ययनरत हैं, जिन्हें विभिन्न विषयों की लगभग तेरह लाख किताबें वितरित की जाती हैं। इसके अलावा मदरसा, माध्यमिक, समाज कल्याण द्वारा संचालित विद्यालय व तेरह कस्तूरबा विद्यालयों में भी कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को भी बेसिक शिक्षा विभाग किताबें उपलब्ध कराता है। जनपद के कस्तूरबा विद्यालयों में सिर्फ 1250 किताबें छात्रओं को वितरित की जाती हैं। परिषदीय स्कूलों में वितरित होने वाली निश्शुल्क सरकारी किताबें नियमत: नया सत्र शुरू होते ही अप्रैल से मई में बच्चों में वितरित हो जानी चाहिए थी, लेकिन शासन स्तर से अभी तक टेंडर न होने तथा क्रयादेश में विलंब से लग रहा है कि इस बार भी छात्रों व उनके अभिभावकों को जुलाई से अगस्त के अंत तक किताबों का इंतजार करना पड़ेगा। यह हाल तब है जब सरकार सर्वशिक्षा अभियान को सफल बनाने का दम भर रही है। समस्त वर्ग की बालिकाओं व एससी-एसटी वर्ग के समस्त बालकों को निश्शुल्क पाठ्य पुस्तकें सर्वशिक्षा अभियान मुहैया कराता है।
No comments:
Write comments