अप्रैल से शुरू हुए शैक्षिक सत्र में गर्मी की छुट्टियों के बाद जुलाई से एक बार फिर परिषदीय स्कूल खुल रहे हैं। हैरत की बात तो यह है कि अभी तक पाठ्य पुस्तक को लेकर विभाग में सन्नाटा है। पुस्तकें किस प्रकाशक से ली जानी है, इसको लेकर कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किया गया है। जिससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है। जिले के तीन हजार परिषदीय स्कूलों में करीब तीन लाख बच्चे नामांकित हैं। इस साल अप्रैल माह से शैक्षिक सत्र शुरू हुआ। उस वक्त किताबों की आपूर्ति न होने पर विभागीय अधिकारियों ने पुरानी पुस्तकों को बच्चों को देने की योजना बनाई। जिसके तहत बच्चों से पुरानी पुस्तकें जमा कराई गई, उसे दोबारा अन्य कक्षाओं के बच्चों को बांट दी गई। उस वक्त कहा गया कि जुलाई माह में बच्चों को नई पुस्तकें देकर पुरानी को जमा करा लिया जायेगा लेकिन अभी तक तैयारियों पर सन्नाटा पसरा है। जुलाई माह में अब कुठ ही दिन शेष है लेकिन अभी तक विभाग यह तय नहीं कर पाया है कि उसे किस प्रकाशक से पुस्तकें लेनी है। ऐसे में जिले के परिषदीय स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को एक बार फिर पुरानी किताबों से ही पढ़ाई करनी पड़ेगी।
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