परिषदीय और अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के यू-डायस डाटा में अब विद्यालयों का ही नहीं एक एक बच्चे का पूरा ब्योरा दर्ज किया जाएगा। इससे न सिर्फ पारदर्शिता आएगी बल्कि बच्चों की संख्या में होने वाला खेल भी नहीं हो सकेगा। इस नई व्यवस्था से बच्चों की पूरी कुंडली आन लाइन हो जाएगी। राज्य परियोजना निदेशालय से जारी आदेश के बाद से प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।परिषदीय विद्यालय में हर शैक्षिक सत्र का यूनीफाइड डायस डाटा फी¨डग कराई जाती है। विद्यालयों से एक खास प्रोफार्मा में पूरा विवरण दर्ज कराया जाता है और फिर उसे कंप्यूटर में फीड किया जाता है। जैसे कि स्कूल का नाम, शिक्षकों की संख्या, पूरा ब्योरा, विद्यालय में मौजूद संसाधन, शौचालयों की स्थिति से लेकर सब कुछ दर्ज किया जाता है। इसमें बच्चों का विवरण भी दर्ज किया जाता है। जिसमें विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या और उनका जातिगत ब्योरा दर्ज होता है। यूनीफाइड डायस डाटा यानी कि यू डायस डाटा की फी¨डग के बाद राज्य परियोजना निदेशालय के माध्यम से यह केंद्र को भेजा जाता है और उसी के आधार पर विद्यालयों के संसाधन से लेकर बच्चों की ड्रेस, किताबों आदि के लिए धनराशि जारी होती है। जानकारों के अनुसार इसमें बच्चों की संख्या में खेल खेला जाता था। जिसके मन में जितने बच्चे आते उतने ही भर दिए जाते। गत शैक्षिक सत्र में हुए हाउस होल्ड सर्वे और यू डायस डाटा में बच्चों की संख्या में मिला भारी अंतर खेल की गवाही भी दे रहा है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा और शैक्षिक सत्र 2016-17 में बदलाव करते हुए नई व्यवस्था लागू कर दी गई है। अब विद्यालयों का पूरा ब्योरा तो दर्ज ही किया जाएगा। बच्चों का भी पूरा विवरण एकत्रित किया जाएगा। जिसमें बच्चों की संख्या ही नहीं उनका नाम, पिता का नाम, आयु, कक्षा और जाति सब कुछ दर्ज होगा और फिर उसे ही यू डायस डाटा में फीड कर राज्य परियोजना निदेशालय भेजा जाएगा। फी¨डग के बाद इसे आन लाइन कर दिया जाएगा। विभागीय जानकारों के अनुसार नई व्यवस्था से अब बच्चों की संख्या में हेर फेर नहीं हो सकेगा। अगर एक बच्चे का नाम किसी स्कूल में दर्ज है तो उसका दूसरे विद्यालय में दर्ज नहीं हो सकेगा और खास बात तो यह कि आनलाइन हो जाने से कोई व्यक्ति किसी भी समय किसी भी बच्चे की पूरी जानकारी ले सकेगा। बीएसए मसीहु्ज्जमा सिद्दीकी ने बताया कि परियोजना निदेशालय के आदेशानुसार काम होगा। एमआईएस सेल के प्रभारी शैलेंद्र झा ने बताया कि नई व्यवस्था का प्रशिक्षण दिया जाएगा और फिर प्रपत्र भरने से लेकर फी¨डग का काम शुरू होगा।
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