पिछले दिनों सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की तैनाती में लिपिकों की भूमिका के संदर्भ में एक सर्वे कराया था। इसमें पाया गया था कि कई जिलों में लिपिक शिक्षकों की तैनाती के लिए डील करते हैं। ऐसा माहौल बरेली में भी पाया गया था। इसी कारण अफसर अपने चहेते लिपिकों को यह पटल भी देते हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग की अंधेरगर्दी किसी से छिपी नहीं है। योजनाओं के संचालन में खेल से लेकर चहेते शिक्षकों को नियम विरुद्ध तैनाती दी जा रही है। आलम यह है कि एक विद्यालय में 12 बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रधानाध्यापक समेत चार शिक्षक लगा दिए हैं।
बिथरी चैनपुर के प्राथमिक विद्यालय पहरापुर बसावन नगरिया में 12 बच्चे पढ़ रहे हैं। नियमत: यहां एक शिक्षक की तैनाती होनी चाहिए। जबकि यहां पहले से ही समायोजन के फलस्वरूप शिक्षामित्र से बना शिक्षक तैनात है। फिर भी दो और शिक्षक तैनात कर दिए। आरोप है कि दो माह पहले विभाग के अफसरों ने स्थानांतरण के बाद संशोधन किए। उन्हीं में से एक प्रधानाध्यापक को यहां तैनात कर दिया गया जबकि प्रधानाध्यापक 100 से अधिक बच्चे होने पर तैनात किया जा सकता है। एक शिकायती पत्र में यह बड़ा खुलासा हुआ है। सूत्रों के अनुसार जिले में ऐसे तमाम स्कूल हैं जहां तैनाती में खेल किया गया है। बताया जाता है कि शिक्षकों की तैनाती व संशोधन में स्कूलों की बोली लगती है। हालांकि इस अव्यवस्था की तमाम बार शिकायतें की गईं लेकिन सुधार नहीं हुआ।विद्यालयों में सृजित पदों के मुताबिक शिक्षकों की तैनाती की जाती है।
नियमों का पालन होता है। ये बात सही है कि आरटीइ के मुताबिक तो 12 बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए। - ऐश्वर्या लक्ष्मी, बीएसए
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