बच्चों का भविष्य संवारने वाले महकमे ने ही हजारों बच्चों का भविष्य दांव पर लगा दिया है। गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों व मदरसों में 30,163 बच्चे पंजीकृत हैं। इस कड़वी हकीकत से महकमा अंजान नहीं है, बल्कि विभाग द्वारा कराए गए हाउस होल्ड सर्वे में इसका खुलासा हुआ है। हकीकत तो यह है कि गैर मान्यता के स्कूलों में अध्ययन करने वाले छात्रों की संख्या कई गुना अधिक है। हैरानी की बात है कि जानकारी होने के बावजूद पिछले दो सालों के दौरान विभाग ने एक भी विद्यालय पर कार्रवाई नहीं की है।
बेसिक शिक्षा विभाग ने मौजूदा सत्र में 06 से 13 साल की आयु के बच्चों का सर्वे कराया था। सर्वे के दौरान इस आयुवर्ग के 16,170 बालक व 13,993 बालिकाएं गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में शिक्षा हासिल कर रहे हैं। इनमें गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में 6,617 बालक व 6,043 बालिकाएं शामिल हैं। इसी तरह गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों में 9,553 बालक व 7950 बालिकाओं के भविष्य से शिक्षा माफिया खिलवाड़ कर रहे हैं। हालांकि गैर सरकारी सूत्र इस आंकड़े को इससे दस गुना अधिक बता रहे हैं। विभाग की लापरवाही की इंतहा इससे अधिक और क्या हो सकती है कि विभाग को गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों का रिकार्ड होने के बाद भी उन पर कार्रवाई का साहस नहीं जुटा पा रहा है। यही वजह है कि पिछले दो सालों के दौरान बीएसए द्वारा एक भी बगैर मान्यता के चल रहे स्कूलों पर कार्रवाई नहीं की है।
जिम्मेदारों की अनूठी दलील: विभाग का तर्क है कि जिन विद्यालयों की मान्यता की फाइलें विभाग के पास हैं, ऐसे विद्यालयों में बच्चों का पंजीकरण हो सकता है। बीएसए कार्यालय में तकरीबन पांच दर्जन फाइलें मान्यता के लिए पडी हुई हैं, इनमें से 25 फाइलों पर खंड शिक्षा अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट लगा दी है। औसतन एक विद्यालय में डेढ़ सैकड़ा बच्चे अगर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं तो जिले में नौ हजार बच्चे ही वैध विद्यालयों में पंजीकृत हैं। डीएम अमृत त्रिपाठी का कहना है कि मामला बेहद गंभीर है, जांच कराई जाएगी। गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों के संचालन के लिए कौन अधिकारी दोषी हैं, ऐसे अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करते हुए संबंधित के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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