DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बाँदा बांदा बागपत बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर लख़नऊ वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Monday, December 5, 2016

लोक सेवा आयोग, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, या फिर बेसिक शिक्षा परिषद, दावेदार अधिक, पद कम, कहां जाएगी बेरोजगारों की यह भीड़


  कमोबेश यही हाल अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं का है। वह चाहे लोक सेवा आयोग हो या फिर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड या फिर बेसिक शिक्षा परिषद की ही भर्तियां क्यों न हों। पद कम हैं और दावेदारों की भीड़ बढ़ती जा रही है। उदाहरण के लिए आरओ-एआरओ-2016 की प्रारंभिक परीक्षा को ही लिया जा सकता है, जिसमें इस बार पौने चार लाख अभ्यर्थी शामिल हुए। भर्ती संस्थाओं के कैलेंडर का जो हाल है, उसमें यह संख्या और बढ़ने के पूरे आसार हैं। इससे जहां युवाओं में कुंठा और अवसाद की आशंकाएं बढ़ रही हैं, वहीं विभागीय स्तर पर कर्मचारियों की कमी से कामकाज भी प्रभावित होगा। 

क्या है कारण : प्रतियोगी परीक्षाओं में भीड़ बढ़ने का प्रमुख कारण भर्तियों का समय से न हो पाना है। लोक सेवा आयोग में ही शासन से अधियाचन भेजने में विलंब तो हो ही रहा है, परिणाम में भी बेवजह लेट-लतीफी है। उदाहरण के लिए आरओ-एआरओ-2014 का परिणाम नवंबर में तब घोषित हुआ जबकि 2016 की प्रारंभिक परीक्षा हो चुकी थी, हालांकि इसकी अंतिम परीक्षा जुलाई में ही समाप्त हो चुकी थी। इसी तरह उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में पिछले आठ साल से कोई परिणाम ही नहीं घोषित हुआ। यहां 1652 पदों के लिए साक्षात्कार जरूर चल रहे हैं लेकिन उनका परिणाम नहीं घोषित हो सकता क्योंकि सदस्यों के न होने से आयोग ही भंग चल रहा है। 

No comments:
Write comments