परिषदीय विद्यालयों में टीईटी के आधार पर की गई नियुक्तियों पर शुरू से ही प्रश्न चिह्न लगता रहा है। सूची को लेकर घमासान मचा हुआ है। हाल यह है कि विभागीय जिम्मेदारों को यह तक पता नहीं है कि जिले में कितने पदों पर नियुक्त हुई और कितने पद रिक्त चल रहे हैं। डायट और बीएसए एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल कर पल्ला झाड़ रहे हैं, इससे जो आवेदक प्रतीक्षारत हैं, उनको नियुक्ति का मौका नहीं मिल पा रहा।
प्रदेश सरकार की ओर से परिषदीय विद्यालयों में टीईटी के आधार पर 72,625 पदों पर नियुक्त प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके तहत जिले में तीन हजार पदों पर नियुक्त की जानी थीं। आवेदकों की वरीयता सूची आरक्षण वार जारी करने की जिम्मेदारी डायट प्रशासन की थी और चयनित आवेदकों की नियुक्त करने की जिम्मेदारी बेसिक शिक्षा अधिकारी की थी। विभागीय अभिलेखों के अनुसार अब तक विभाग की ओर से नौ चयन सूची जारी की जा चुकी हैं। इसी के आधार पर शिक्षकों की नियुक्त की गई हैं। टीईटी के आधार पर नियुक्त पाने वाले शिक्षकों के अभिलेखों की जांच की गई थी, जिसमें भारी संख्या में आवेदकों के प्रमाण पत्र फर्जी निकले थे, जिस पर बर्खास्तगी की कार्यवाही की गई थी। अब हाल यह है कि बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय और डायट प्रशासन को इस बात की जानकारी नहीं है कि कितने पदों पर नियुक्त हो चुकी है और किस वर्ग के कितने पद खाली हैं। विगत छह माह से एक दूसरे को पत्र लिख कर खानापूर्ति की जा रही है। डायट प्रशासन बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर चयनित शिक्षकों की सूची उपलब्ध न कराने का आरोप लगा रहा है, वहीं बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय डायट प्रशासन पर जिम्मेदारी डाल रहा है। बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से डायट प्रशासन को जारी पत्र में कहा गया कि आरक्षित और विशेष आरक्षित वर्ग के विषय में जानकारी डायट प्रशासन से ही हो सकती है, क्योंकि आरक्षण वार मेरिट सूची डायट के पास ही उपलब्ध है। उन्होंने जारी पत्र में कहा कि उनके पास जो संख्यात्मक विवरण था और जितने शिक्षकों ने कार्यभार ग्रहण किया है उसकी सूची भेजी जा चुकी है।
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