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Thursday, February 4, 2021

यूपी बोर्ड : अब एक साथ पढ़ सकेंगे कॉमर्स, कला, विज्ञान, 09 से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई को वर्गों से परे रखने का फैसला

यूपी बोर्ड : अब एक साथ पढ़ सकेंगे कॉमर्स, कला, विज्ञान, 09 से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई को वर्गों से परे रखने का फैसला

50 लाख के करीब बच्चे हर साल यूपी बोर्ड की परीक्षा देते हैं।

09 से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई को वर्गों से परे रखने का फैसला।

लखनऊ : अब यूपी बोर्ड में रसायन, भौतिक विज्ञान, गणित विषय लेकर इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले विद्यार्थी संगीत भी पढ़ सकेंगे और अर्थशास्त्र के साथ रसायन विज्ञान भी पढ़ा जा सकेगा| यूपी बोर्ड को अब विज्ञान, कला या कॉमर्स वर्गों से मुक्त किया जाएगा।


नई शिक्षा नीति के मुताबिक नए शैक्षिक सत्र में इसकी तैयारी की जाएगी और 2022-23 से विद्यार्थियों को विषय चुनने की स्वतंत्रता दी जाएगी। बता दें कि उत्तर प्रदेश में यूपी बोर्ड के करीब 50 लाख छात्र और छात्राएं हर साल परीक्षा देते हैं ।

केन्द्र को भेजे गए प्रस्ताव में माध्यमिक शिक्षा विभाग ने कक्षा 9 से 12 तक की पढ़ाई को वर्गों से परे करने का निर्णय लिया है । इसकी तैयारी 2021-22 के सत्र में करने का आश्वासन दिया है।

इसके लिए सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों की विषयवार मैपिंग होगी, वहां उपलब्ध शिक्षकों और भौतिक सुविधाओं का आकलन होगा और इसके हिसाब से ही विषय चयन की अनुमति दी जाएगी। 2022-23 से विषय चयन की सुविधा दी जाएगी।

अभी तक यूपी बोर्ड में मुख्यतः मानविकी, विज्ञान, वाणिज्य व व्यावसायिक वर्ग हैं औरविज्ञान वर्ग के विद्यार्थी को कला या संगीत पढ़ने की अनुमति नहीं दी जाती है। इसी तरह मानविकी वर्ग के विद्यार्थी वाणिज्य वर्ग के विषय नहीं पढ़ सकते।

सिर्फ गणित सभी वर्गों के विद्यार्थी पढ़ सकते हैं। लेकिन नई शिक्षा नीति ने वर्गों के इन बंधनों को तोड़ने की वकालत की है ताकि डॉक्टर बनने की तैयारी कर रहा विद्यार्थी अपनी पसंद के मुताबिक शारीरिक शिक्षा या कला जैसे विषय भी पढ़ सके। या फिर वाणिज्य पढ़ने वाला छात्र संगीत और कला की शिक्षा ले सके। जानकारी के अनुसार इसके हिसाब से उच्च शिक्षा में भी बदलाव किया जाएगा।


राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी 

राज्य सरकार के 2285 और सहायता प्राप्त स्कूलों की संख्या 4512 है। वहीं यहां शिक्षकों की संख्या भी पूरी नहीं है। ऐसे में अतिरिक्त विषयों को पढ़ाने की व्यवस्था कैसे होगी? इस विषय में गंभीरता से सोचने की जरूरत है। मिसाल के तौर पर राजधानी के निशातगंज स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में वाणिज्य वर्ग है ही नहीं, इसी तरह कई ऐसे कॉलेज हैं जहां सभी वर्गों की पढ़ाई नहीं होती या सभी विषयों के शिक्षक नहीं होते हैं। ऐसे में विषय चुनने की आजादी दे दी जाएगी लेकिन विद्यार्थियों का पठन-पाठन कैसे होगा, इससे निपटना एक बड़ी चुनौती होगी। इस दिशा मेंकाम करने की जरूरत है।

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