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Thursday, September 9, 2021

यूपी : बिना पद के हुए प्रमोशन मामले पर पर्दा डालने की तैयारी, कार्रवाई में कोताही

यूपी : बिना पद के हुए प्रमोशन मामले पर पर्दा डालने की तैयारी, कार्रवाई में कोताही

सपा सरकार में विभागीय सेवा नियमावली को ताक पर रखकर लिपिक संवर्ग में 848 पदों का सृजन कर इन पर प्रमोशन दिए गए थे। इनमें प्रधान सहायक के 641, अपर सांख्यिकी अधिकारी के 157 और प्रशासनिक अधिकारी के 56 पद शामिल हैं। गौर करने वाली बात यह थी कि इतने बड़े पैमाने पर पद सृजित करने के लिए न तो लिपिकीय सेवा नियमावली में संशोधन कराया गया और न ही कैबिनेट से ही मंजूरी ली गई।


बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय के सेवा नियमावली में पद का प्रावधान न होने के बाद भी पद सृजित कर प्रमोशन देने के मामले पर पर्दा डालने की तैयारी शुरू हो गई है। शासन द्वारा गठित जांच रिपोर्ट में अनियमित प्रमोशन देने की पुष्टि होने के बावजूद घोटाले के लिए जिम्मेदार कार्मिकों के खिलाफ र्कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

गौरतलब है कि सपा सरकार में विभागीय सेवा नियमावली को ताक पर रखकर लिपिक संवर्ग में 848 पदों का सृजन कर इन पर प्रमोशन दिए गए थे। इनमें प्रधान सहायक के 641, अपर सांख्यिकी अधिकारी के 157 और प्रशासनिक अधिकारी के 56 पद शामिल हैं। गौर करने वाली बात यह थी कि इतने बड़े पैमाने पर पद सृजित करने के लिए न तो लिपिकीय सेवा नियमावली में संशोधन कराया गया और न ही कैबिनेट से ही मंजूरी ली गई। मनमाने तरीके से चहेतों को दिए गए प्रमोशन से हर महीने सरकारी खजाने से लाखों रुपये खर्च किया जा रहा है।

इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की गई तो मामले की स्पेशल ऑडिट कराने के निर्देश दिए गए थे। इस आधार पर विशेष सचिव वित्त ने निदेशक आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा को पूरे मामले की स्पेशल ऑडिट करने को कहा था। निदेशक आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा ने जांच की तो सभी शिकायतें सही पाई गई थीं। इस आधार पर शासन ने विभाग के ही विशेष सचिव की अध्यक्षता में अंतर्विभागीय जांच समिति गठित कर मामले की जांच कराई थी। इस समिति में कार्मिक, वित्त व न्याय विभाग के अधिकारी शामिल हैं। इस समिति ने आईसीडीएस निदेशालय से कई बार लेखा परीक्षा की जांच रिपोर्ट के आधार पर आख्या रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराने का निर्देश दे चुका है, लेकिन करीब छह महीने से निदेशालय आख्या रिपोर्ट नहीं भेज रहा है।

इन प्रमुख बिंदुओं पर हुई थी स्पेशल ऑडिट
- सेवा अवधि पूरा हुए बिना ही लिपिकों को एसीपी देने
- प्रोन्नति के पद को ही मूल पद मानकर बार-बार एसीपी का लाभ देने
- बिना नियमावली के पद सृजित करने और वेतन का भुगतान करने
- स्टाफिंग पैटर्न का उल्लंघन कर प्रशासनिक अधिकारी व प्रधान सहायक के पद पर प्रोन्नति देना

नियमावली में सिर्फ इन पदों का प्रावधान
 बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार लिपिक सेवा नियमावली-1992 में लिपिक संवर्ग में सिर्फ वरिष्ठ लिपिक, कनिष्ठ लिपिक और संगणक या सहायक सांख्यिकी अधिकारी की श्रेणी निर्धारित की गई है। जबकि विभाग में अपर सांख्यिकी अधिकारी व प्रशासनिक अधिकारी जैसे पदों पर प्रमोशन दे दिया गया है। साथ ही उनको एश्योरर्ड कैरियर प्रमोशन (एसीपी) देते हुए उनका ग्रेड पे और वेतन बैंड भी बढ़ाने का मामला सामने आया था।

केंद्र सरकार भी जता चुका है आपत्ति
प्रदेश में चल रहे इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज (आईसीडीएस) पर खर्च होने वाली राशि का 75 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार देती है। इसलिए केंद्र सरकार ने भी अनधिकृत तरीके से सृजित पदों पर तैनात किए गए लिपिकों को वेतन दिए जाने पर आपत्ति जताई थी। केंद्र सरकार के भी आईसीडीएस से संबंधित लिपिकीय संवर्ग के ढांचा में यूडीसी, एलडीसी व सांख्यिकी अधिकारी के पद का ही प्रावधान है। प्रशासनिक व अपर सांख्यिकी अधिकारी नाम का कोई पद स्वीकृत नहीं है।

आईसीडीएस निदेशालय से आंतरिक लेखा परीक्षा की जांच रिपोर्ट में पाई गई अनियमितिओं के संबंध में अनुपालन आख्या रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन अभी तक रिपोर्ट आई या नहीं, इस बारे में मुझे पता नहीं है। पता करेंगे तो बताएंगे।
डॉ. अशोक चंद्रा, अध्यक्ष अर्न्तविभागीय जांच समिति एवं विशेष सचिव महिला कल्याण

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