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Thursday, September 9, 2021

बड़ा बदलाव : महाविद्यालयों के स्नातक शिक्षक भी करा सकेंगे पीएचडी

बड़ा बदलाव : महाविद्यालयों के स्नातक शिक्षक भी करा सकेंगे पीएचडी


प्रदेश सरकार ने शोध कार्यो को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब राज्य विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों के स्नातक शिक्षक भी विद्यार्थियों को पीएचडी करा सकेंगे। यह सुविधा अभी ज्यादातर विश्वविद्यालयों में ही है, कुछ महाविद्यालयों के स्नातकोत्तर शिक्षक भी शोध निर्देशन कर रहे हैं। पहली बार सभी स्नातकोत्तर व स्नातक विभागों के शिक्षकों को जिम्मा सौंपा जा रहा है।



विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में शिक्षकों तथा अन्य शैक्षिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम अर्हता व उच्चतर शिक्षा में मानकों के रखरखाव के लिए अन्य उपाय वर्ष 2018 में किए थे। 28 जून, 2019 को शासन ने निर्णय लिया कि उच्च शिक्षा विभाग के राज्य विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के शिक्षकों पर नए नियम लागू कराए जाएं। शासनादेश में कहा गया था कि जरूरत के आधार पर महाविद्यालयों के शिक्षकों को पीएचडी निर्देशन की सुविधा देने के लिए अलग से निर्णय होगा।


शिक्षक चयन की शर्ते तय : शासन का निर्देश है कि यूजीसी की ओर से तय मानकों के आधार पर सभी महाविद्यालयों के स्नातकोत्तर व स्नातक विभागों के शिक्षकों से शोध निर्देशन कराया जाए। शर्त रखी गई है कि शिक्षक नियमित व पूर्णकालिक हों और पीएचडी किए हों। साथ ही उनके पांच शोधपत्र भी प्रकाशित हो चुके हों। महाविद्यालयों के पर्यवेक्षक निकट के संस्थानों, महाविद्यालयों, रिसर्च एवं डेवलपमेंट प्रयोगशालाओं, विश्वविद्यालयों, अन्य संगठनों और शोध के लिए सहायक सुविधाओं का उपयोग अपने शोध को बेहतर बनाने के लिए कर सकते हैं।


निदेशक उच्च शिक्षा व राज्य विश्वविद्यालयों के कुलसचिव अब शोध कार्यो को बढ़ावा देने के लिए शासन के निर्देश का अनुपालन कराएंगे। शोध पर्यवेक्षक का तबादला होने पर क्या व्यवस्था रहेगी, यह भी वे तय करेंगे।’ - मोनिका एस गर्ग, अपर मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा


विश्वविद्यालय तय करेंगे शोध पर्यवेक्षक


शोध विद्यार्थी अपना पंजीकरण व फीस विश्वविद्यालयों में ही जमा करते हैं, वहीं से उन्हें डिग्री भी मिलती है। शासन का निर्देश है कि विश्वविद्यालय शोध को बढ़ावा देने के लिए प्रशासनिक सहायता के साथ ही शोध पर्यवेक्षक भी उपलब्ध कराएं। इनके चयन की व्यवस्था पारदर्शी रहे। गुणवत्ता बनाए रखने के लिए शोध निर्धारण की प्रक्रिया विश्वविद्यालय ही पूरी कराएंगे। राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों का स्थानांतरण होने पर शोध निर्देशन के लिए विश्वविद्यालय नीति तय करेंगे।

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