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Tuesday, April 18, 2023

उच्च शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के स्वास्थ्य, कल्याण, मनोवैज्ञानिक एवं भावनात्मक सेहत तथा शारीरिक दक्षता एवं खेलों को बढ़ावा देने के लिए दिशानिर्देश जारी

उच्च शिक्षण संस्थानों में स्थापित होंगे ''छात्र सेवा केंद्र'', यूजीसी के दिशानिर्देश जारी

उच्च शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के स्वास्थ्य, कल्याण, मनोवैज्ञानिक एवं भावनात्मक सेहत तथा शारीरिक दक्षता एवं खेलों को बढ़ावा देने के लिए दिशानिर्देश जारी
 



विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश में उच्च शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के स्वास्थ्य, कल्याण, मनोवैज्ञानिक एवं भावनात्मक सेहत तथा शारीरिक दक्षता एवं खेलों को बढ़ावा देने के लिए दिशानिर्देश जारी किये हैं तथा संस्थानों से इनका अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए नियमों, विनियामक प्रावधानों में जरूरी बदलाव करने का सुझाव दिया है।


 इन दिशानिर्देशों में विविधतापूर्ण कैम्पस जीवन को रेखांकित करते हुए कहा गया है कि सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों में एक छात्र सेवा केंद्र (एसएससी) होगा जो तनाव और भावनात्मक तालमेल से जुड़ी समस्याओं से निपटने एवं प्रबंधन करने के लिए जिम्मेदार होगा। यूजीसी के सचिव मनीष जोशी ने 12 अप्रैल को सभी विश्वविद्यालय के कुलपतियों एवं कालेजों के प्राचार्यो को लिखे पत्र में कहा कि उच्च शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के स्वास्थ्य, कल्याण, मनोवैज्ञानिक एवं भावनात्मक सेहत तथा शारीरिक दक्षता, खेलों को बढ़ावा देने के लिए दिशानिर्देश जारी किये हैं। 


पत्र में कहा गया है कि उच्च शैक्षणिक संस्थानों से आग्रह किया जाता है कि इन दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएं। यूजीसी के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि छात्रों के लिए जीवंत कैम्पस जीवन बेहतर पठन पाठन का माहौल, अच्छी मूल्यांकन प्रणाली और सभी के साथ निष्पक्ष एवं समावेशी व्यवहार के उद्देश्य से जरूरी है। यह अकादमिक और पाठ्येत्तर गतिविधियों के साथ समाज एवं पारिस्थितिकी से संबंधित जमीनी प्रशिक्षण, रोजगार से जुड़ी प्लेसमेंट गतिविधियों, शैक्षणिक यात्रााओं और ग्रीष्माकालीन इंटर्नशीप के माध्यम से हो सकती है। 


इसमें कहा गया है कि सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों में छात्र सेवा केंद्र (एसएससी) होना चाहिए जो तनाव और भावनात्मक तालमेल से जुड़ी समस्याओं से निपटने एवं प्रबंधन करने के लिए जिम्मेदार होगा। छात्र सेवा केंद्र में सक्षम शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य परामर्शक, शारीरिक एवं मानसिक विशेषज्ञ तथा शारीरिक-मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन उपकरण जैसे जरूरी संसाधन होने चाहिए जिसके माध्यम से छात्रों को जानकारी दी जाए और उनका मूल्यांकन एवं मार्गदर्शन हो। छात्र सेवा केंद्र (एसएससी) का प्रबंधन निदेशक/डीन स्तर के प्रोफेसर रैंक का पदस्थ व्यक्ति करेगा जिसका मनोविज्ञान, शारीरिक शिक्षा तथा खेल, सामाजिक कार्य या समाज शास्त्र विषय से होना जरूरी है। 


एसएससी छात्रों से जुड़े
प्रासंगिक मुद्दों के समाधान के लिए एकल खिड़की का काम करेगा। इन संस्थानों में एसएससी में पर्याप्त संख्या में महिला एवं पुरूष प्रशिक्षक/परामर्शक होना चाहिए। दिशानिर्देश में शारीरिक दक्षता का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि छात्रों की पढ़ाई के साथ उच्च शिक्षण संस्थानों को उनकी शारीरिक गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए ताकि उन्हें शारीरिक एवं मानसिक तंदरूस्ती बनाये रखने में मदद मिले।


 यूजीसी के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों को ऐसा माहौल बनाने की जरूरत है जहां छात्रों को शारीरिक रूप से सक्रिय होने के लिए कहा जा सके। राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस), राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) स्तर पर छात्रों को सार्थक रूप से जोड़ने के लिए इन्हें मजबूत बनाया जाना चाहिए। 


उच्च शैक्षणिक संस्थानों को नियमित रूप से आत्मरक्षार्थ प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए, खास तौर पर लड़कियों के लिए। इसमें कहा गया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों को प्रमुख खेल/शारीरिक शिक्षा/योग संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) करने का प्रयास करना चाहिए। दिशानिर्देशों के अनुसार, राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक), राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए), राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग ढांचा (एनआईआरएफ) इन उच्च शिक्षण संस्थानों को छात्र सेवा केंद्र (एसएससी के प्रावधानों के लिए कुछ प्वायंट/ग्रेड प्रदान करने पर विचार कर सकते हैं। 



विश्वविद्यालयों में अनिवार्य होगा लोकपाल, फीस, दाखिला, सर्टिफिकेट न देना जैसी शिकायतों का 30 दिन में होगा निपटारा





देश के सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रों की शिकायतों का अब लोकपाल निवारण करेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने छात्रों की शिकायतों के लिए शिकायत निवारण विनियम-2023 को अधिसूचित कर दिया है। यह विनियम 2019 की जगह काम करेगा। 

इसके तहत दाखिला संबंधी गड़बड़ी, फीस, सर्टिफिकेट वापस न करना, उत्पीड़न, परीक्षा संचालन में अनियमितता, छात्रवृति, दाखिले के लिए अलग से पैसे की मांग करना, आरक्षण नियमों का पालन न करना आदि अन्य शिकायतों पर अब 15 कार्य दिवस के तहत समिति को रिपोर्ट और 30 दिनों में निपटारा करना होगा। नए विनियम 2023 के तहत विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को छात्रों की शिकायतों के निवारण के लिए समिति बनाने और लोकपाल नियुक्त करना होगा। 

लोकपाल के रूप में जिनकी नियुक्ति होगी वे पूर्व कुलपति या सेवानिवृत्त प्रोफेसर होंगे, जिन्हें विभागाध्यक्ष या डीन के रूप में काम करने का अनुभव हो। छात्रों की शिकायतों के निवारण के लिए एक सरलीकृत, लेकिन प्रभावी तंत्र तैयार करने के मकसद से यह विनियम-2023 लाया गया है। इस संबंध में एक पोर्टल पर सारी सूचनाएं देनी होंगी। 

अधिसूचना के मुताबिक प्रत्येक संस्थान अपने पाठ्यक्रम या अध्ययन के किसी भी कार्यक्रम में प्रवेश आरंभ करने की तिथि से कम से कम 60 दिन की समाप्ति के पूर्व अपनी वेबसाइट पर एक विवरणिका प्रकाशित करेगा। इसमें संस्थान में प्रवेश लेने के इच्छुक अभ्यर्थियों और आम जनता की जानकारी के लिए सूचनाएं उपलब्ध हों। इसमें प्रत्येक पाठ्यक्रम के शिक्षण के घंटों, व्यावसायिक सत्रों और अन्य कार्य के साथ-साथ अध्ययन के कार्यक्रमों की सूची आदि भी हो।

 इसमें कार्यक्रम के लिए अनुमोदित सीटों की संख्या, न्यूनतम एवं अधिकतम आयु, शैक्षणिक योग्यता, आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया, परीक्षा का विवरण, शुल्क या जमा राशि की सूचना होनी चाहिए। साथ ही संस्थान के भौतिक एवं शैक्षणिक बुनियादी ढांचे, छात्रावास एवं इसके शुल्क, पुस्तकालय, चिकित्सालय, छात्रों के व्यवसायिक प्रशिक्षण सुविधा, अनुशासन बनाए रहने के निर्देश आदि का ब्यौरा भी होना चाहिए।


उच्च शिक्षण संस्थानों में अनिवार्य होगा आंतरिक लोकपाल


देश के सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रों की शिकायतों का अब लोकपाल निवारण करेगा। यूजीसी ने शिकायत निवारण विनियम-2023 को अधिसूचित कर दिया है। यह विनियम 2019 की जगह काम करेगा।


इसके तहत दाखिला संबंधी गड़बड़ी, फीस, सर्टिफिकेट वापस न करना, उत्पीड़न, परीक्षा संचालन में अनियमितता, छात्रवृत्ति, दाखिले के लिए अलग से पैसे की मांग करना, आरक्षण नियमों का पालन न करना आदि अन्य शिकायतों पर अब 15 कार्य दिवस के तहत समिति को रिपोर्ट और 30 दिनों में निपटारा करना होगा। सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को छात्रों की शिकायतों के निवारण के लिए समिति बनाने के साथ लोकपाल नियुक्त करना होगा। लोकपाल के रूप में पूर्व कुलपति या सेवानिवृत्त प्रोफेसर नियुक्त होंगे, जिन्हें विभागाध्यक्ष या डीन के रूप में काम करने का अनुभव हो।


छात्रों की समस्याओं पर समिति बनेगी

सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रों की शिकायतों का निवारण लोकपाल करेगा। अधिसूचना में कहा गया है कि संस्थान से संबंधित किसी पीड़ित छात्र की शिकायत छात्र शिकायत निपटारा समिति के अध्यक्ष को संबोधित की जाएगी। प्रत्येक संस्थान जरूरत के मुताबिक शिकायत निवारण समितियों का गठन करेगा।


 इसका अध्यक्ष एक प्रोफेसर तथा चार प्रोफेसर या वरिष्ठ संकाय सदस्य होंगे। इसमें शैक्षणिक योग्यता, खेलकूद में उत्कृष्ठता/सह पाठ्यचर्या गतिविधियों में प्रदर्शन के आधार पर नामित किए जाने वाले छात्रों में एक-एक प्रतिनिधि विशेष आमंत्रित सदस्य होगा। इस समिति में कम से कम एक सदस्य या अध्यक्ष एक महिला, एक सदस्य या अध्यक्ष अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग से होना चाहिए।


अगर संस्थान शिकायतों के संबंध में छात्र शिकायत निवारण समिति या लोकपाल की सिफारिशों को लागू करने में विफल रहते हैं तो उनका अनुदान रोकने, अनुदान की स्वीकृति को समाप्त करने, महाविद्यालयों के संबंध में उनकी संबंधित विश्वविद्यालय से संबद्धता वापस लेने की कार्रवाई हो सकती है। राज्य सरकार के विश्वविद्यालय पर कार्रवाई के लिए संबंधित राज्य सरकार और केंद्र के संस्थानों के संबंध में केंद्र से सिफारिश की जा सकती है। निर्धारित समय के लिए संस्थानों को ऑनलाइन पाठ्यक्रम दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रम की पेशकश की अनुमति से रोका जा सकता है।

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