बासुदेव सिंह इससे पहले प्राथमिक विद्यालय हसनपुर खेवली में हेडमास्टर थे। इंग्लिश मीडियम से पढ़ाई के लिए चयनित होने वाले स्कूलों में पान खेड़ा के अलावा हसनपुर खेवली स्कूल ही था। वन महोत्सव में अवॉर्ड, विज्ञान पर बेस्ट टीचिंग लर्निंग मटेरियल अवॉर्ड समेत एक दर्जन से अधिक प्रशस्ति पत्र उन्हें मिल चुके हैं।
बासुदेव सिंह उन शिक्षकों में से हैं जिन्होंने शिक्षा के प्रति समर्पण के चलते अपने स्कूल को ही अपना घर बना लिया। मलिहाबाद के जूनियर हाईस्कूल ढेड़ेमऊ के शिक्षक बासुदेव सिंह स्कूल के स्टोर रूम में रहते हैं। वह केवल यहां आने वाले बच्चों के ही नहीं, बल्कि पूरे गांव के लोगों के शिक्षक हैं। ऐसा शिक्षक जो उन्हें साक्षर बनाने के अलावा, सेहतमंद रहने और आत्मनिर्भर बनने का सबक भी सिखा रहा है।
बासुदेव सिंह की पत्नी और बच्चे सरोजनीनगर में रहते हैं लेकिन वह केवल छुट्टी में घर जाते हैं। वह रोज सुबह चार बजे से गांव के लोगों को योगाभ्यास करवाते हैं। फिर स्कूल में दोपहर तक पढ़ाई करवाते हैं। स्कूल के बाद रात 8 बजे तक वह बच्चों को मुफ्त कोचिंग पढ़ाते हैं। इसके अलावा वह बच्चों को चॉक, मोमबत्ती, अगरबत्ती और कबाड़ से खिलौने बनाना भी सिखाते हैं। बासुदेव का कहना है कि यह जरूरी है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। 8पेज 6 भी देखें
पा न खेड़ा प्राइमरी स्कूल को सोमवार को शिक्षक दिवस पर सरकार की ओर से बेस्ट स्कूल का अवॉर्ड दिया जाएगा। स्थानीय लोग इसका श्रेय यहां के पूर्व शिक्षक वीरेंद्र सिंह को देते हैं। वीरेंद्र हालांकि अब जूनियर हाईस्कूल भरोसा में नियुक्त हैं पर पान खेड़ा स्कूल को सम्मान मिलने पर गर्व महसूस कर रहे हैं।
पान खेड़ा प्राइमरी स्कूल की नींव 2008 में रखी गई थी। शुरुआत से ही वीरेंद्र स्कूल को बेहतर बनाने के लिए जुट गए। सबसे पहले ब्लॉक प्रमुख के जरिए और अन्य स्रोतों से फंड जुटाकर स्कूल में इंटरलॉकिंग सड़क, बगीचे के सुंदरीकरण के काम के साथ वाटर प्यूरिफायर लगवाया गया। स्कूल की वायरिंग के लिए पैसा नहीं बचा तो वीरेंद्र ने अपने पास से पैसा लगाकर वायरिंग करवाई। स्कूल में शिक्षा और अन्य सुविधाओं का स्तर देखते हुए उसका नाम बेस्ट स्कूल के लिए भेजा गया। उनकी मेहनत के चलते लखनऊ जिले में इंग्लिश मीडियम से पढ़ाई के लिए चयनित होने वाले दो प्राइमरी स्कूलों में पान खेड़ा स्कूल भी शामिल हो गया। इस बीच वीरेंद्र सिंह का प्रमोशन हो गया और वे जूनियर हाईस्कूल गोसा लालपुर आ गए।
वीरेंद्र के अनुसार, एक सितंबर को उनका ट्रांसफर जूनियर हाईस्कूल भरोसा में कर दिया गया। यहां आने के बाद उन्होंने पाया कि स्कूल में बिजली कनेक्शन नहीं था। सबसे पहले उन्होंने यहां कनेक्शन जुड़वाया और स्कूल में लाइट व पंखे लगवाए। वीरेंद्र सिंह के पास स्कूल के लिए आगे की भी योजना है। उनका कहना है कि स्कूल के पास छह बीघा जमीन है। इस जमीन पर फूलों की खेती कर स्कूल को आर्थिक रूप से सशक्त करने की कोशिश की जाएगी।
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