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Friday, September 23, 2016

लखनऊ : मिड-डे-मील के फल के नाम पर बांट रहे सिर्फ केला, एडी बेसिक ने दिए सेब, नाशपाती, संतरा भी बांटने के आदेश

लखनऊ (डीएनएन)। परिषदीय विद्यालयों में समाजवादी पौष्टिक आहार योजना के तहत बच्चों को दिए जाने वाले फल वितरण में भी जमकर ‘खेल’ किया जा रहा है। शासन की ओर से जारी आदेश में केला, सेब, संतरा, नाशपाती, आडू़, शरीफा आदि वितरित करने की व्यवस्था है। इसके लिए प्रति फल पर चार रुपए परिवर्तन लागत का प्रावधान भी किया गया है, लेकिन स्वयंसेवी संस्थाएं फल के नाम पर सिर्फ केला वितरित कर रही हैं। मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) महेंद्र सिंह राणा ने गुरुवार को बीएसए को निर्देश जारी किए कि अन्य फलों का भी वितरण किया जाए।प्राइमरी, जूनियर विद्यालयों, राजकीय, सहायता प्राप्त विद्यालयों व मदरसा आदि में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को गुणवत्तापरक मिड-डे-मील दिए जाने का प्रावधान है। पिछले साल जुलाई में सरकार ने मिड-डे-मील के मेन्यू में परिवर्तन कर बुधवार को बच्चों को दूध देने का प्रावधान किया। लेकिन दूध वितरण की प्रक्रिया सुचारु रूप से न चल पाने के बाद बीती दो जुलाई से परिषदीय विद्यालयों में प्रत्येक सोमवार को बच्चों को मिड-डे-मील में फल देने का निर्णय लिया गया। राजधानी में करीब 2029 विद्यालयों में पढ़ने वाले दो लाख 35 हजार बच्चों को ताजे फल दिए जाने लगे। शुरुआत में एक-दो दिन राजधानी में केले के अलावा नाशपाती का भी वितरण किया गया। लेकिन अब सिर्फ केला ही दिया जा रहा है।
निरीक्षण में यह तत्थ सामने आए हैं कि फल वितरण में सिर्फ केले वितरित किए जा रहे हैं। जिसकी परिवर्तन लागत 4 रुपए से भी कम आती है। इसलिए निर्देश दिए गए हैं कि माह में एक बार इस धनरिाश में से बची हुई राशि को समायोजित करते हुए अन्य फल जैसे-सेब, नाशपाती, संतरा आदि भी वितरित कराए जाएं।
-महेंद्र सिंह राणा, एडी बेसिक लखनऊ
तो कम आएगी लागत : फल वितरण में चार रुपए प्रति फल का बजट तय किया गया है। लेकिन मिड-डे-मील बांटने वाले सिर्फ केला ही बांट कर परिवर्तन लागत में खेल कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो बाजार के फुटकर भाव के हिसाब से तीन रुपए से साढ़े तीन रुपए ही प्रति केला बिक रहा है। ऐसे में थोक भाव में यदि केला खरीदा जाता है तो इसकी लागत और काफी कम हो जाएगी। इस दौरान बच रही शेष धनराशि का कमीशन लाखों रुपए में पहुंच रहा है, जिसके लिए यह खेल किया जा रहा है। जनपद स्तर पर मिड-डे-मील वितरण की जिम्मेदारी निभाने वाले भी कमरे में बैठकर रिपोर्ट तैयार कर इतिश्री कर लेते हैं।

लाभान्वित छात्रों की संख्या के प्रतिशत में असमानता : एडी बेसिक के मुताबिक फल वितरण की सूचना में उपस्थिति के सापेक्ष लाभांवित छात्रों की संख्या के प्रतिशत में असमानता पाई गई है। इस मामले में बीएसए से स्पष्ट रिपोर्ट मांगी गई है। 


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