क्षेत्र के प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में बच्चों को परोसे जाने वाला मध्याह्न भोजन की व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है। इसका मुख्य कारण प्रधानाध्यापक व ग्राम प्रधान के आपसी टकराव बताया जा रहा है। इससे बच्चों को जहां दोपहर में भोजन नहीं मिल पा रहा है। वहीं अभिभावकों में भी रोष व्याप्त है। प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर ऊपर उठाने व एक भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह सके इसके प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में मिड-डे-मिल योजना चल रही है, परंतु घोड़हरा ग्रामसभा में यह योजना गत 22 अक्टूबर से ही बंद पड़ी है। इसकी लिखित शिकायत ग्राम प्रधान नफीस अख्तर व प्रधानाध्यापिका शीला सिंह व शशिकांत पांडेय ने खंड शिक्षा अधिकारी से एक-दूसरे के विषय में की है। इसके बावजूद अब तक मध्याह्न भोजन शुरू नहीं हो पाया है। रसोइया विद्यालय पर आती है और वापस चली जाती है। चार माह से रसोइयों को मानदेय भी नहीं मिल पाया है। कोटेदारों के यहां 15 कुंतल गेहूं-चावल सड़ रहा है परंतु न तो अनाज का उठान हो सका और न ही रसोइयों को मानदेय ही मिल पाया। क्षेत्रीय ग्रामीणों व अभिभावकों ने जिलाधिकारी व बेसिक शिक्षा अधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए तत्काल मानदेय का भुगतान कराने की मांग की है।
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