साझा प्रयास से मिलेगी शिक्षा
सुधार
जागरण संवाददाता, लखनऊ: स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीइआरटी) ने सरकारी स्कूलों की भी शक्ल बदल दी है। शिक्षकों और समुदायों के प्रयास से शिक्षा का स्तर काफी ऊंचा हो गया है। क्लास के हिसाब से शिक्षक किस तरह की शिक्षा की तकनीक अपनाएं, इसके अलावा अभिभावकों के प्रयास आदि पर फोकस किया जा रहा है। यह बात एससीइआरटी की संयुक्त निदेशक दीपा तिवारी ने वल्र्ड विजन इंडिया और कोलीशन फॉर चाइल्ड राइट्स एंड डेवलपमेंट (सीसीआरडी) की ओर से दयाल पैराडाइज में आयोजित एजुकेशन कांक्लेव में कही।
दीपा तिवारी ने बताया कि एनसीइआरटी ने कक्षा एक से आठ तक के लिए लर्निग आउटकम तय किया है। इसमें अभिभावकों को एक फोल्डर दिया जाता है, जिसमें उन्हें यह टिक करना होता है कि बच्चों को कितना आया कितना नहीं। वहीं एससीइआरटी प्राइमरी और अपर प्राइमरी के शिक्षकों को प्रैक्टिल प्रशिक्षण भी दे रहा है, जिससे शिक्षा का नया दृष्टिकोण विकसित किया जा सकता है।
योजना में पारदर्शिता जरूरी : अमित मेहरोत्र, प्रोग्राम मैनेजर, यूनिसेफ ने कहा कि सीएसआर को हम सब इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से अपने बेस्ट मॉडल्स और प्रोजेक्ट्स का एक समूह बनाकर बताएं कि हम कैसे साझा रूप में इस को आगे ले जा सकते हैं। यूनिसेफ ने एक लिटरेसी चेक लिस्ट टूल बनाया है। अपने क्षेत्र के शिक्षा अधिकारियों के साथ जा कर जांच करिए कि गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान की जा रही है या नहीं।
>>वल्र्ड विजन और सीसीआरडी की ओर से आयोजित हुआ कार्यक्रम
>>सरकार, गैर सरकारी संगठन के साझा प्रयास से एजूकेशन कॉन्क्लेव का आयोजन
शिक्षा को मजबूत करने के लिए चल रही हैं कई योजनाएं
वल्र्ड विजन की सीईओ चेरियन थॉमस ने बताया कि गैर सरकारी संस्थाओं का सबसे मुख्य काम सरकार को उनके कार्यो में सहायता पहुंचाना है। इसमें आपसी समंवय में सहायता पहुंचाना, संवेदीकरण, अच्छी कार्यप्रणालियों को साझा करना/ विभिन्न विषयों पर संचार सामग्री तैयार कर साझा करना शामिल है।
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