वित्त विभाग की बगैर स्वीकृति के नहीं बंटेगा वजीफा व फीस प्रतिपूर्ति
छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में भी सरकार का ब्रेक, वित्त विभाग ने बगैर अनुमति पैसा न खर्च करने के दिए निर्देश।
लखनऊ : प्रदेश सरकार ने शादी अनुदान योजना के बाद अब छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में भी ब्रेक लगाते हुए बगैर वित्त विभाग की स्वीकृति के इसकी धनराशि न खर्च करने के निर्देश दिए हैं। कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन से खराब हो रहे आर्थिक हालात को देखते हुए वित्त विभाग ने सोमवार को यह आदेश जारी कर दिए।
वहीं, समाज कल्याण विभाग ने नए शैक्षिक सत्र 2020-21 में प्री- मैट्रिक व पोस्ट मैट्रिक कक्षाओं में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपर्ति के लिए कार्य योजना तैयार कर ली है। इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार से आवश्यक धनराशि की मांग की है। समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, पिछड़ा वर्ग कल्याण व दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग में शादी अनुदान योजना संचालित होती है।
वित्त विभाग ने पहले इस योजना को बगैर उनकी अनुमति के खर्च न करने के निर्देश दिए। अब छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति योजना पर वित्त विभाग ने ब्रेक लगाया है। उधर, समाज कल्याण विभाग ने कक्षा 9 व 10 के अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं को 2020-21 के शैक्षिक सत्र में छात्रवृत्ति देने के लिए 122.78 करोड़ रुपये केंद्र से मांगे हैं। पोस्ट मैट्रिक यानी कक्षा 11-12 व इससे ऊपर की कक्षाओं, मेडिकल, इंजीनियरिंग, पॉलिटेक्निक आदि पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले एससी छात्र-छात्राओं की शुल्क प्रतिपूर्ति व छात्रवृत्ति देने के लिए 2300 करोड़ रुपये की मांग विभाग ने की है।
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राज्य मुख्यालय। प्रदेश में समाज कल्याण विभाग की ओर से दी जाने वाली फीस भरपाई और छात्रवृत्ति बगैर वित्त विभाग की स्वीकृति के नहीं दी जा सकेगी। कोरोना संकट से उपजे आर्थिक हालात को देखते हुए वित्त विभाग ने यह आदेश जारी किया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्री मैट्रिक यानि कक्षा 9 व 10 के अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं को 2020-21 के शैक्षिक सत्र में छात्रवृत्ति देने के लिए 122 करोड़ 78 लाख रुपये का केंद्रांश केन्द्र सरकार से मांगा गया है। विभाग का अनुमान है कि इस साल प्री मैट्रिक कक्षाओं के 5 लाख 80 हजार एससी छात्र-छात्राएं आवेदन कर सकते हैं। पोस्ट मैट्रिक यानि कक्षा 11-12 और इससे ऊपर की अन्य कक्षाओं, मेडिकल, इंजीनियरिंग, पालीटेक्निक में छात्रवृत्ति देने के लिए 2300 करोड़ रुपये विभाग को चाहिए।
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