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Tuesday, September 15, 2020

प्रदेश में संस्कृत शिक्षा पर गहराने लगा संकट, 117 संस्कृत विद्यालयों में नहीं बचा एक भी शिक्षक

प्रदेश में संस्कृत शिक्षा पर गहराने लगा संकट, 117 संस्कृत विद्यालयों में नहीं बचा एक भी शिक्षक।

प्रयागराज : प्रदेश में संस्कृत शिक्षा पर संकट गहराने लगा है। तकरीबन तीन दशक से नियुक्ति प्रक्रिया ठप होने के कारण धीरे-धीरे स्कूलों पर ताले पड़ने लगे हैं। वर्तमान में पूरे प्रदेश में कक्षा 6 से 12 तक के 958 स्कूलों में से ऐसे 117 विद्यालय हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं बचे हैं। इनमें से 58 सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक/ विद्यालय अध्यापकों के अभाव में बंद हो चुके हैं।





नई सरकार बनने के बाद संस्कृत विद्यालयों में नियुक्ति की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को दी गई थी। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने 1282 शिक्षकों की नियुक्ति का ध्यान भी सालभर पहले ही भेज दिया था लेकिन आज तक भर्ती शुरू नहीं हो सकी है।



यूपी के 117 सरकारी स्कूल में एक भी टीचर नही, जानिए कैसे होती है पढ़ाई 

यूपी में संस्कृत शिक्षा पर संकट गहराने लगा है। तकरीबन तीन दशक से नियुक्ति प्रक्रिया ठप होने के कारण धीरे-धीरे स्कूलों पर ताले पड़ने लगे हैं। वर्तमान में पूरे प्रदेश में कक्षा 6 से 12 तक के 958 स्कूलों में से ऐसे 117 विद्यालय हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं बचे हैं। इनमें से 58 सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालय अध्यापकों के अभाव में बंद हो चुके हैं। कई जगह बच्चे आते हैं टीचर न हाेने की वजह से पढ़ाई ही ननहीं हो पाती। कई बार बच्चें आपस में ही पढ़ाई कर लेते हैं। 

नई सरकार बनने के बाद संस्कृत विद्यालयों में नियुक्ति की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को दी गई थी। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने 1282 शिक्षकों की नियुक्ति का अधियाचन भी सालभर पहले ही भेज दिया था लेकिन आज तक भर्ती शुरू नहीं हो सकी है। अकेले प्रयागराज जिले के 42 संस्कृत विद्यालयों में से 14 ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं बचे हैं। 3 स्कूल चपरासी तो एक क्लर्क के भरोसे खोले जा रहे हैं। यानि कुल 18 विद्यालय शिक्षकविहीन हैं। तकरीबन दर्जनभर विद्यालय ऐसे हैं जहां मात्र एक शिक्षक हैं।

संस्कृत शिक्षा की स्थिति दयनीय होते देख उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र ने उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा को 16 अगस्त को पत्र लिखकर नियमित नियुक्ति होने तक मानदेय या संविदा पर शिक्षकों की व्यवस्था करने का अनुरोध किया है। प्रधानाध्यापकों/अध्यापकों की संख्या न्यूनतम स्तर से भी कम हो चुकी है, प्राय: दो-तिहाई पद रिक्त है। फलस्वरूप संस्थाओं में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं का पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। 

महंत विचारानंद संस्कृत महाविद्यालय बाघम्बरी गद्दी, किशोरी लाल वेणीमाधव संस्कृत महाविद्यालय दारागंज, कमलाकर संस्कृत पाठशाला शंकरगढ़, रामसुमेर तिवारी संस्कृत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नारीबारी, शिवशर्मा संस्कृत महाविद्यालय दारागंज, सुबोधिनी संस्कृत पाठशाला मांडा, भागवतदेशिक संस्कृत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नृसिंह मंदिर दारागंज, श्री ब्रजांग संस्कृत विद्यालय देवली फूलपुर, शेषमणि संस्कृत विद्यालय रतेवरा कोरांव, आनंद बोधरम संस्कृत महाविद्यालय तिवारीपुर गाढ़ा, महर्षि पाणिनी संस्कृत विद्यालय बड़ोखर कोरांव, तीर्थराज सन्यासी विद्यालय झूंसी, श्यामलाल शुक्ल विद्यालय कोरांव, नारायणदास संस्कृत महाविद्यालय लेड़ियारी में कोई शिक्षक नहीं है। सर्वार्य आदर्श संस्कृत विद्यालय बहादुरगंज लिपिक जबकि विश्वनाथ संस्कृत विद्यालय कोरांव, महानिर्वाण वेद विद्यालय दारागंज व त्रिवेणी संस्कृत विद्यालय दारागंज परिचारक के सहारे खुल रहे हैं।

डॉ. वाचस्पति मिश्र, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम कहते हैं कि संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की कमी की जानकारी शासन को दी गई है। जल्द ही इस समस्या का समाधान हो जाएगा। आचार्य पं. राजेश मिश्र 'धीर', उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता प्रादेशिक संस्कृत विद्यालयाध्यापक संघ कहते हैं कि तीन दशक से नियुक्ति प्रक्रिया ठप होने के कारण संस्कृत पाठशालाओं पर ताले पड़ने लगे हैं। कई स्कूलों में छात्र-छात्राएं तो हैं लेकिन शिक्षक ही नहीं है। ऐसे में संस्कृत शिक्षा का उत्थान तो दूर उसके अस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो गया है।



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