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Friday, November 12, 2021

भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन की कवायद फिर हुई तेज, केंद्र सरकार जल्द दे सकती गठन की मंजूरी

भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन की कवायद फिर हुई तेज, विधेयक का फाइनल ड्राफ्ट तैयार

आगामी शीत सत्र में सरकार दे सकती उच्च शिक्षा आयोग के गठन की मंजूरी



अलग-अलग नियामकों में बिखरी उच्च शिक्षा को एक नियामक के दायरे में लाने की यह पहल फिलहाल कोई नई नहीं है। भाजपा ने 2014 के अपने घोषणा पत्र में भी उच्च शिक्षा के लिए एक नियामक गठित करने की बात कही थी। इस प्रस्ताव पर 2018 में काफी काम हुआ।


 नई दिल्ली। उच्च शिक्षा को एक ही नियामक (रेगुलेटर) के दायरे में लाने की मुहिम ने फिर से रफ्तार पकड़ी है। फिलहाल इसके लिए प्रस्तावित उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआइ) के गठन के मसौदे को अंतिम रूप देने का काम तेजी से चल रहा है। माना जा रहा है कि 29 नवंबर 2021 से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में इससे संबंधित विधेयक को पेश किया जा सकता है। वैसे केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 के बजट भाषण में आयोग को इस साल ही गठित करने का एलान किया था।


अलग-अलग नियामकों में बिखरी उच्च शिक्षा को एक नियामक के दायरे में लाने की यह पहल फिलहाल कोई नई नहीं है। भाजपा ने 2014 के अपने घोषणा पत्र में भी उच्च शिक्षा के लिए एक नियामक गठित करने की बात कही थी। हालांकि इस प्रस्ताव पर वर्ष 2018 में काफी काम हुआ। ड्राफ्ट तैयार किया गया, लेकिन इसे बाद में ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। इस बीच नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने और बजट में इसके गठन का ऐलान करने के बाद इसमें फिर तेजी दिखी, लेकिन यह आगे नहीं पढ़ पाया। सूत्रों के मुताबिक शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस काम में रुचि दिखाई है। साथ ही इस प्रस्ताव को तेजी से आगे बढ़ाने को कहा है।


खास बात यह है कि नई शिक्षा नीति में भी भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन की सिफारिश की गई है। ऐसे में इस नए आयोग के गठन का जो ड्राफ्ट तैयार किया है, उनमें इन सिफारिशों को पूरी तरह से शामिल किया गया है।


आयोग के अधीन चार स्वतंत्र संस्थाएं भी करेगी काम
प्रस्तावित आयोग के तहत चार स्वतंत्र संस्थाएं भी गठित होंगी। इनमें पहला राष्ट्रीय उच्च शिक्षा विनियामक परिषद ( एनएचईआरसी) होगी। यह उच्च शिक्षा के लिए एक रेगुलेटर की तरह काम करेगी, जिसके दायरे में चिकित्सा एवं विधिक शिक्षा को छोड़ बाकी सभी उच्च शिक्षा शामिल होगी। दूसरी संस्था राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (एनएसी) होगी। यह नैक की जगह लेगी जो उच्च शिक्षण संस्थानों का मूल्यांकन करेगी।


तीसरी संस्था उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद (एचईजीसी) होगी जो उच्च शिक्षण संस्थानों की फं¨डग का काम देखेगी। अभी उच्च शिक्षण संस्थानों की फं¨डग का काम यूजीसी के ही पास है। चौथी संस्था सामान्य शिक्षा परिषद (जीईसी) होगी जो नए-नए शिक्षा कार्यक्रमों को तैयार करने और उन्हें लागू करने का काम देखेगी।


उच्च शिक्षा में अभी काम कर रहे करीब 14 नियामक
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में फिलहाल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) सहित करीब 14 नियामक काम करते हैं। इनमें तकनीकी शिक्षा, शिक्षक शिक्षा, कौशल विकास से जुड़ा शिक्षा परिषद आदि शामिल हैं। इसके चलते एक ही विश्वविद्यालय या उच्च शिक्षण संस्थान को अलग-अलग कोर्सों को संचालित करने के लिए इन सभी नियामकों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। साथ ही इन सभी के नियमों को पूरा करने का अलग-अलग तरीके से दबाव होता है।

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