Wednesday, October 1, 2025
बेसिक शिक्षकों का पहले किया तबादला, अब कर रहे वापस, मेरठ, महराजगंज, शाहजहांपुर समेत कई जिलों में आदेश जारी
बेसिक शिक्षकों का पहले किया तबादला, अब कर रहे वापस, मेरठ, महराजगंज, शाहजहांपुर समेत कई जिलों में आदेश जारी, पहले शिक्षामित्रों को नियमित शिक्षक मानकर कर ली गई गणना
लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों के तवादले को लेकर गंभीर प्रशासनिक भ्रम की स्थिति बन गई है। पहले शिक्षामित्रों को नियमित शिक्षक मानकर तवादले किए गए लेकिन अब जब कई विद्यालय एकल या शिक्षकविहीन हो गए तो विभाग उन्हीं तबादलों को निरस्त करने लगा है। मेरठ, महराजगंज, शाहजहांपुर समेत कई जिलों में शिक्षकों को वापस उनके मूल विद्यालयों में बुलाया जा रहा है, जिससे शिक्षकों में भारी नाराजगी और असमंजस का माहौल है।
जून और अगस्त में लंबी कवायद के बाद शिक्षकों के जिले के अंदर परस्पर तवादले किए गए थे। इसमें जून में 20182 शिक्षकों का जिले के अंदर सामान्य तवादला किया गया था। वहीं अगस्त में 5378 शिक्षकों का तबादला हुआ था। उस समय विभाग का यह दावा था कि उसने सभी आवश्यक चीजें देखकर तवादले किए हैं। साथ ही बीएसए को भी नियमानुसार ही शिक्षकों को जॉइन कराने का निर्देश दिया था।
अब गौतमबुद्धनगर, औरैया, हमीरपुर, महाराजगंज, शाहजहांपुर, मेरठ आदि कई जिलों में बीएसए की ओर से शिक्षकों के तबादले से जुड़े आदेश जारी किए जा रहे हैं। इनमें कहा गया है, तवादले के बाद यह पता चला कि जिले के कई विद्यालय शिक्षकविहीन हो गए हैं। इसकी वजह से विसंगति पैदा हो रही है।
बीएसए ने खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जिन शिक्षकों के तबादले के बाद विद्यालय एकल या शिक्षकविहीन हो गए हैं। वहां के शिक्षकों को तत्काल उनके मूल विद्यालय में वापस लाने की कार्यवाही की जाए।
साथ ही यह भी स्पष्ट करें कि विद्यालय के एकल या शिक्षकविहीन होने के लिए कौन उत्तरदायी है? अब दो-तीन महीने बाद तबादला निरस्त करने से शिक्षकों में काफी नाराजगी है। आखिर यह विभाग की कैसी मनमानी व नियमावली है कि जब चाहा तबादला किया और जब चाहा निरस्त कर दे रहे हैं
पहले हुई गलती या अब
तबादला प्रक्रिया में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर यह गलती हुई कब। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेंद्र कुमार तिवारी की ओर से आठ अगस्त को जारी आदेश के बिंदु संख्या छह में स्पष्ट कहा गया है कि स्वेच्छा से तबादला व समायोजन प्रक्रिया में शिक्षकों को कार्यमुक्त करने से विद्यालय एकल या शिक्षकविहीन हो रहे हैं, तो उनको कार्यमुक्त नहीं किया जाएगा। ऐसे में या तो उस समय तबादलों में गलती हुई या अब गलत किया जा रहा है?
यह कुछ शिक्षकों का ही मामला है। कुछ जगह पर स्कूलों का मर्जर निरस्त होने के बाद स्थितियां बदली हैं। यह देखा जाएगा कि पहले दिए गए निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया गया है या नहीं? इसमें जिस अधिकारी की गलती मिलेगी उनकी जिम्मेदारी तय की जाएगी। - सुरेंद्र तिवारी, सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद
मर्जर का दुष्प्रभाव : डिमर्ज हुए स्कूल पुनः अपनी जगह चलने शुरू हुए तो घट गए शिक्षक, स्कूलों की पेयरिंग के दौरान हुआ था शिक्षकों का समायोजन, अब पढ़ाई पर संकट
स्कूलों की पेयरिंग और अनपेयरिंग से पैदा हुआ स्कूलों में शिक्षकों का संकट
लखनऊः जिले में पेयर किए गए कई बेसिक स्कूल वापस अपने भवन में चलने लगे है। इससे पहले पेयरिंग के दौरान कई जगह शिक्षक बढ़ गए थे, जो स्वैच्छिक समायोजन के तहत दूसरे स्कूलों में चले गए। ऐसे में अब स्कूल पुरानी जगह चलने लगे तो छात्रों की हाजिरी बढ़े लगी है, लेकिन शिक्षकों की कमी हो गई है। जहां पहले दो शिक्षक थे, वहां अब महज एक शिक्षक के भरोसे पढ़ाई हो रही है। कई एकल शिक्षक स्कूल तो शिक्षामित्रों के भरोसे चल रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, पेयरिंग के बाद कई स्कूलों में शिक्षकों को सप्लस बताकर उनका स्वैच्छिक समायोजन कर दिया गया था। बेसिक शिक्षा मंत्री ने 31 जुलाई को अधिक दूरी वाले स्कूलों को अनपेयर करने का ऐलान किया था। इसके बाद भी बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अनपेयरिंग का कोई लिखित आदेश जारी नहीं किया, बल्कि अगस्त में कई स्कूलों को पुराने भवन में संचालित करने का मौखिक निर्देश दे दिया। इसके बाद स्कूल पुराने भवन में शुरू हुए, तब पता चला कि पहले के मुकाबले शिक्षक घट गए है।
पढ़ाई पर पड़ रहा असर
मोहनलालगंज के भौदरी ग्राम पंचायत के मरूई प्राथमिक विद्यालय में करीब 35 छात्र है। यहां दो शिक्षक थे। पेयरिंग के वक्त एक शिक्षक को दूसरे स्कूल में समायोजित कर दिया गया था। अब स्कूल पुराने भवन में पहले की तरह चल रहा है, लेकिन दो के बजाय सिर्फ शिक्षक के भरोसे पढ़ाई हो रही है। इसी तरह मोहनलालगंज के प्राथमिक विद्यालय उत्तरगांव में भी दो शिक्षक थे। एक शिक्षक के समायोजन के बाद पुराने भवन में सिर्फ सहायक अध्यापक ही सभी बच्चो को पढ़ा रहे है। वही, माल के प्राथमिक विद्यालय बनेवापुरवा में 35 बच्चों पर दो शिक्षक तैनात थे। पेयरिंग और समायोजन के बाद इस स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक है।
शिक्षामित्रों के भरोसे स्कूल
माल का पीरनगर प्राथमिक विद्यालय पहले एकल शिक्षक के भरोसे चल रहा था। पेयरिंग के वक्त शिक्षक का समायोजन दूसरे स्कूल में कर दिया गया। अब पुराने भवन में स्कूल शुरू होने पर शिक्षामित्र के भरोसे पढ़ाई चल रही है। मलिहाबाद का इमलिया प्राथमिक विद्यालय पहले एकल शिक्षक स्कूल था, लोकिन अब यह शिक्षामित्रों के भरोसे चल रहा है।
68500 शिक्षक भर्ती में बचे 27713 पदों के लिए सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच 7 अक्टूबर को करेगी सुनवाई
68500 शिक्षक भर्ती में बचे 27713 पदों के लिए सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच 7 अक्टूबर को करेगी सुनवाई
उत्तर प्रदेश के 68500 शिक्षक भर्ती मामले में बचे हुए 27713 रिक्त पदों की भर्ती को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बड़ी सुनवाई होने जा रही है। इस मामले की सुनवाई अब पांच जजों की विशेष बेंच करेगी, जो कि 7 अक्टूबर 2025 को होगी। यह सुनवाई अभ्यर्थियों द्वारा दायर पुनः क्यूरेटिव पेटिशन पर होगी, जिसमें उन्होंने चयन प्रक्रिया और पदों के आवंटन से जुड़े मुद्दों को लेकर न्यायालय से मांग की है।
उत्तर प्रदेश में कुल 68500 सहायक अध्यापक पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया अन्य कारणों से अधर में थी। इन पदों में से लगभग 27713 पद अभी भी रिक्त हैं। इन रिक्त पदों को भरने हेतु पिछली सुनवाईयों में कोर्ट ने कई बार निर्देश दिए थे कि भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी और न्यायसंगत हो। समस्या के मुख्य बिंदु कटऑफ मेरिट, परीक्षा प्रक्रिया और नियुक्ति के नियम बने हुए हैं।
हाल ही में अभ्यर्थियों ने क्यूरेटिव पेटिशन दायर कर 68500 शिक्षक भर्ती में बची 27713 पदों से संबंधित मुद्दे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखे हैं। इस क्यूरेटिव पेटिशन की सुनवाई अब उच्चतम न्यायालय के पांच जजों की बेंच करेगी। यह सुनवाई 7 अक्टूबर 2025 को निर्धारित की गई है। पांच जजों की बेंच की सुनवाई का मतलब है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।
यह मामला 2018 में शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है, जिसमें प्रारंभिक परीक्षा में अनियमितताओं के कारण कई फैसलों और नियुक्तियों पर प्रश्न उठे थे। कोर्ट ने इस मामले की उच्च न्यायालयों में कई बार सुनवाई की है। हाई कोर्ट की डबल बेंच ने अगस्त 2023 में 27713 पदों पर दो माह के अंदर परीक्षा आयोजित करने के निर्देश दिए थे। इसके खिलाफ कुछ अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट गए थे, जिन्होंने मेरिट कट को कम करने की मांग की, जो खारिज कर दी गई थी।
अभी बेसिक शिक्षा विभाग ने उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (UPESSC) को भर्ती प्रक्रिया की जिम्मेदारी सौंपी है। आयोग जल्द ही नए विज्ञापन जारी करके बाकी बचे पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगा। आगामी पाँच जजों की बेंच की सुनवाई के बाद इस मामले में अंतिम निर्णय आने की उम्मीद है, जो भर्ती प्रक्रिया को परिभाषित करेगा।
शिक्षक बनने के इच्छुक हजारों अभ्यर्थी शिक्षा विभाग और न्यायालय से जल्द से जल्द इस विवादित मामले का समाधान चाहते हैं ताकि रिक्त पदों पर नियुक्ति हो सके। वहीं सरकार ने लगातार भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और न्यायालय के आदेशों का पालन सुनिश्चित करने की बात कही है।
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