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Monday, September 29, 2025

पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला तय करेगा लाखों शिक्षकों का भविष्य, TET अनिवार्यता पर टिकी निगाहें

पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला तय करेगा लाखों शिक्षकों का भविष्य,  TET अनिवार्यता पर टिकी निगाहें


सुप्रीम कोर्ट में लंबित पुनर्विचार याचिकाओं ने देशभर के लाखों शिक्षकों की उम्मीदें जगा दी हैं। अदालत के हालिया आदेश के बाद अब सभी शिक्षकों के लिए टीईटी (TET) पास करना अनिवार्य हो गया है, जिससे लाखों शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। इस फैसले से नाराज कई शिक्षक संगठनों और राज्य सरकारों ने न्यायालय में पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की हैं।  

सुप्रीम कोर्ट में बड़ा मामला  
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षकों ने 2017 में आरटीई अधिनियम में किए गए संशोधन को चुनौती दी है। शिक्षकों का कहना है कि यदि सरकार ठोस कदम नहीं उठाती है तो वे जंतर-मंतर पर बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे। उनका तर्क है कि अचानक नियम बदलने से उनकी नौकरी पर संकट खड़ा हो गया है।  

याचिका खारिज हुई तो लाखों शिक्षकों पर खतरा  
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार और शिक्षकों की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाती है तो पूरे देश में लाखों शिक्षकों पर टीईटी पास करने का नियम लागू हो जाएगा। सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही करीब 1,86,000 शिक्षक इस फैसले से प्रभावित होंगे। प्रभावित होने वालों में बीएड, बीपीएड और पुराने बीटीसी धारक शिक्षक शामिल हैं। वहीं मृतक आश्रित कोटे से चयनित इंटरमीडिएट योग्यता वाले शिक्षक भी इसके दायरे में आ जाएंगे।  

एनसीटीई की भूमिका सबसे अहम  
विशेषज्ञों के अनुसार, राहत तभी मिल सकती है जब एनसीटीई आरटीई अधिनियम की धारा 23(2) की स्पष्ट व्याख्या करे। यदि एनसीटीई पुराने शिक्षकों के लिए 2010 से पहले टीईटी पास करने की अनिवार्यता को हटा देता है तो याचिका में संशोधन की संभावना बनी रहेगी।  

पुनर्विचार याचिका की प्रक्रिया  
पुनर्विचार याचिकाएं पहले जजों के चेंबर में जाती हैं। यदि न्यायालय को इसमें नए तथ्य या साक्ष्य मिलते हैं तो इसे ओपन कोर्ट में सुनवाई के लिए लाया जाता है, अन्यथा चेंबर में ही खारिज कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में अधिवक्ताओं को मौखिक बहस का अवसर नहीं मिलता और निर्णय पूरी तरह लिखित याचिका पर आधारित होता है।  

अक्टूबर तक आ सकता है फैसला  
कानूनी जानकारों का अनुमान है कि अक्टूबर तक सुप्रीम कोर्ट इस पुनर्विचार याचिका पर अपना फैसला सुना सकता है। यदि याचिका खारिज होती है तो लाखों शिक्षकों को टीईटी पास करना अनिवार्य हो जाएगा। वहीं, शिक्षक संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि उन्हें राहत नहीं मिलती तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने और अपनी नौकरी की सुरक्षा के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।




टीईटी प्रकरण में शिक्षक संगठन पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, दाखिल की याचिका, अन्य राज्यों के शिक्षक संगठनों से संपर्क में हैं उत्तर प्रदेश के शिक्षक नेता

प्रदेश के 1.86 लाख शिक्षक सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से हो रहे प्रभावित

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ (तिवारी गुट) के प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी ने बताया कि संगठन ने टीईटी मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू याचिका दाखिल की है। इस अवसर पर उनके साथ संरक्षक व एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह, अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वासवराज गुरिकर व महासचिव कमलाकांत त्रिपाठी भी उपस्थित थे।


लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा परिषदीय शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता के निर्णय से प्रभावित शिक्षक भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने लगे हैं। प्रदेश सरकार के पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के बाद यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) ने भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है। जबकि कुछ और संगठन इसके लिए तैयारी कर रहे हैं।

यूटा के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर ने बताया कि बृहस्पतिवार को यह याचिका दाखिल की गई है। याचिका में केंद्र सरकार के 2017 के उस संशोधन अधिनियम को वजह माना है जिसके माध्यम से वर्तमान में कार्यरत सभी शिक्षकों के लिए आज की न्यूनतम अर्हता आवश्यक की गई है। उन्होंने इस अधिनियम संशोधन को मौलिक अधिकारों के विरुद्ध तथा असंवैधानिक बताया है।


उन्होंने बताया कि प्रदेश के काफी शिक्षक ऐसे हैं जो टीईटी के लिए आवेदन ही नहीं कर सकते हैं। 2001 से पहले इंटर, बीटीसी के आधार पर नियुक्त काफी शिक्षक जिनकी सेवा अभी 5 वर्ष से अधिक है। मृतक आश्रित कोटे में अनुकम्पा के तहत इंटर शैक्षिक योग्यता के आधार पर नौकरी पाने वाले अध्यापक टीईटी के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं। ऐसे में पहले के नियुक्त शिक्षकों को इससे राहत दी जानी चाहिए।

संगठन के सतेन्द्र पाल सिंह ने कहा कि यूटा इस लड़ाई को न्यायालय के साथ-साथ सड़क पर भी लड़ेगा। जल्द ही बड़े आंदोलन की घोषणा की जाएगी। बता दें कि टीईटी मामले में प्रदेश के 1.86 लाख शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से पीएम व शिक्षामंत्री को पत्र भेजकर इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मांग की गई है।


पांच को दिल्ली में शिक्षक संगठनों की बैठक : उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि संगठन भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेगा। इस मामले में आगे की रणनीति बनाने व दिल्ली में होने वाले आंदोलन की रूपरेखा तैय करने के लिए पांच अक्तूबर को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में एक बैठक बुलाई गई है। इसमें झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि प्रदेश के शिक्षक संगठन व नेता शामिल होंगे। तब तक केंद्र सरकार इस मामले में सकारात्मक पहल नहीं करती है तो दिल्ली कूच की तिथि तय की जाएगी।


झारखंड सरकार नहीं जाएगी सुप्रीम कोर्ट: उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षकों के हित में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। लेकिन अन्य राज्यों में इसे लेकर मतभेद है। झारखंड सरकार ने हाल ही में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका न दाखिल करने का निर्णय लिया है। सरकार ने कहा है कि अधिकतर मामलों में पुनर्विचार याचिका खारिज हो जाती है। शिक्षक टीईटी की तैयारी करें। उन्हें साल में दो बार टीईटी का अवसर मिलेगा।

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