अागरा। डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय के फर्जी मार्क्सशीट प्रकरण की जांच का दायरा बढ़ने जा रहा है। अभी तक सिर्फ बीएड की जांच चल रही है। वो भी केवल 2004 से 2009 तक के सत्रों की लेकिन अब एसआईटी ने सभी पाठ्यक्रमों को जांच के घेरे में लेने की तैयारी कर ली है। उच्च न्यायालय से अनुमति मिलते ही 1999 से 2014 तक के सत्रों की फाइलें खंगालने का काम शुरू कर दिया जाएगा। यह नौबत इसलिए आई है क्योंकि जांच एजेंसी कोबीएड की तरह सभी फैकल्टी से जाली मार्क्सशीट जारी किए जाने का शक है।
अभी तक की जांच में एसआईटी को बीएड की 25,000 जाली मार्क्सशीट मिल चुकी हैं। यह भी पता चल चुका है कि बेसिक शिक्षा विभाग में 4,500 सहायक अध्यापकों की बीएड डिग्री फर्जी है। इनमें से 497 को नोटिस जारी कर पूछताछ शुरू हुई तो पता चला कि सिर्फ बीएड की नहीं, लगभग सभी पाठ्यक्रमों की फर्जी डिग्री बेची गई हैं। अभी तक जांच के दायरे में 83 निजी कॉलेज हैं। लेकिन अब तैयारी यूनिवर्सिटी से संबद्ध सभी 770 कॉलेजों की जांच की है। इसी बीच यह खुलासा भी हुआ कि एमबीए, बीटेक, बीई, एमसीए , बीएससी इन कंप्यूटर साइंस की डिग्री फर्जी पाई हैं। इनके जरिए कई युवाओं ने विदेशों में नौैकरी हासिल कर लीं। ये डिग्रियां सत्यापन के लिए यूनिवर्सिटी आई थीं।
1999 से बनाई जा रही थी जाली डिग्री
एसआईटी जांच में पाया गया कि बीएड की जाली डिग्री 2004 से नहीं, 1999 से ही बनाई जा रही थीं। यूनिवर्सिटी से रिकार्ड मांगा तो जवाब मिला कि 2004 से लेकर 2014 तक का डाटा गायब हो गया है। दो दिन पहले ही खुलासा हुआ कि 2014 के सत्र में 6000 फर्जी छात्रों को परीक्षा में बैठाया गया। केस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि तमाम तथ्यों के मद्देनजर एसआईटी ने जांच का दायरा बढ़ाने का फैसला लिया। इसके लिए अब सिर्फ हाईकोर्ट से अनुमति मिलने का इंतजार है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस कोर्ट में चल रही है। अभी तक सात एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। छह आगरा पुलिस ने और एक एसआईटी ने दर्ज की। उधर, जांच का दायरा बढ़ने पर एसआईटी को और मजबूत किया जा सकता है। अभी 55 अधिकारी जांच में लगे हैं। इनकी संख्या बढ़ सकती है।
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