मैनपुरी : साक्षर भारत योजना के तहत निरक्षरों को साक्षर बनाने के लिए तैनात किए गए प्रेरक बीते तीन साल से मानदेय के लिए भटक रहे हैं। लेकिन, विभागीय लापरवाही के चलते इनकी समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पा रहा है। जिम्मेदारों की अनदेखी पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए अब शासन ने सीधे सचिव जिला लोक शिक्षा समिति से ऑनलाइन स्पष्टीकरण मांगा है। ग्रामीण क्षेत्रों से निरक्षरता को दूर करने के लिए शासन द्वारा साक्षर भारत योजना का संचालन कराया जा रहा है। इसके लिए लोक शिक्षा केंद्रों पर दो हजार रुपये मानदेय पर प्रेरकों को तैनात किया गया है। जिले में नौ सौ के आसपास प्रेरक केंद्रों पर तैनात हैं। लेकिन, इनमें से किसी को भी तीन सालों से मानदेय नहीं दिया गया है। आदर्श लोक शिक्षा प्रेरक वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष शिवरतन सिंह यादव का कहना है कि वर्ष 2013 से प्रेरक अपने मानदेय के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि बीएसए से लेकर शासन स्तर तक सभी से गुहार लगा चुके हैं लेकिन अभी तक समस्या का कोई निराकरण नहीं हो पा रहा है। उनका आरोप है कि जिला स्तर के अधिकारी भी हम लोगों का मानदेय दिलाने में कोई रुचि नहीं ले रहे हैं। प्रेरकों के लंबित मानदेय पर अधिकारियों के नकारात्मक रुख को देखते हुए अब खुद शासन ने सख्ती दिखाई है। निदेशक साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा अवध नरेश शर्मा ने सचिव जिला लोक शिक्षा समिति को पत्र भेजकर मानदेय की स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। इस संबंध में पत्र में हवाला दिया गया है कि सचिव द्वारा मानदेय वितरण किए जाने की जानकारी दी है लेकिन अभी तक मानदेय का वितरण किया ही नहीं गया है।
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