कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों ने मनमाना विद्यालय पाने के लालच में आकर अपनी नौकरी भी संकट में डाल दिया है। शासनादेश के विपरीत स्थानांतरण पर रोक लगने के बाद अब वह इधर उधर भटक रहे हैं। विभाग ने चहेतों को तो विद्यालयों में ज्वाइन करा दिया है। वहीं अन्य भटक रहे हैं। विभाग अब उन शिक्षकों पर कार्रवाई करने जा रहा है। कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में वार्डेन समेत सभी कर्मचारी संविदा पर हैं। शासनादेश के अनुसार किसी भी संविदा कर्मी का स्थानांतरण नहीं किया जा सकता है। विभागीय जानकारों का कहना है कि जिला समन्वयक ने शासनादेश को दरकिनार कर 37 शिक्षकों को इधर से उधर स्थानांतरण करा दिया। हाल यह है कि जो उनके संपर्क में थे उनको मुख्यालय से निकट विद्यालय आवंटित हो गया और जो पहले से वहां कार्य कर रहे थे उनको दूरस्थ विद्यालयों में भेज दिया गया। जिलाधिकारी ने सभी स्थानांतरणों को निरस्त करते हुए पूर्व में तैनात विद्यालय में ही कार्य करने के निर्देश दिए थे पर विभागीय समन्वयक ने पूर्व की तिथियों में अपने चहेतों को विद्यालयों में ज्वाइन करा दिया। अब वह उन विद्यालयों से वापस मूल विद्यालय नहीं जा रहे हैं। अब विभागीय अधिकारी उन शिक्षकों को कार्रवाई कर रहे हैं जो विद्यालयों में ज्वाइन नहीं कर पाए हैं। एक ओर जहां वह अपने विद्यालय से रिलीव कर दिए गए, वहीं जिन विद्यालयों में उन्हें वापस जाना था, वहां के शिक्षकों को रिलीव नहीं किया गया है। इससे वह शिक्षक विद्यालय से गायब हैं नतीजतन उनकी अनुपस्थित दर्ज हो रही है। विभागीय मिलीभगत से उन शिक्षकों पर तो कार्रवाई की जा रही है जिन्होंने रिलीव होने के बाद ज्वाइन नहीं किया मगर उनको अभयदान दिया जा रहा है, जिन्होंने स्थानांतरण आदेश के बाद विद्यालयों में ज्वाइन कर लिया है और वापस मूल विद्यालय में नहीं जा रहे हैं। विभागीय सूत्रों की मानें तो कस्तूरबा विद्यालयों में कार्यरत 11 शिक्षकों को संविदा भी समाप्त कर दी गई है। जिला समन्वयक बालिका शिक्षा शैलेश गुप्ता का कहना है कि इस संबंध में उनके पास कोई जानकारी नहीं है। बीएसए मसीहुज्जमा सिद्दीकी ने बताया इस संबंध में जांच चल रही है। किसी भी शिक्षक के साथ अन्याय नहीं होगा। स्थानांतरण के आदेश के पूर्व जो शिक्षक तैनात हैं उनको उन्हीं स्कूलों में ज्वाइन कराया जाएगा।1जो न हो सका सेट, उसे कर दिया फिट : वैसे तो कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में स्थानांतरण के नाम पर खेल नई बात नहीं है लेकिन अब तो हद हो गई है। विद्यालयों से जुड़े शिक्षक शिक्षिकाओं का कहना है कि आदेश की आड़ में उनका शोषण होता है। गुपचुप तरीके से आदेश बना लिए जाते हैं और जो सेट हो जाता वह सही और जिसकी सेटिंग नहीं होती उसे फिट कर दिया जाता है। जिला समन्वयक बालिका शिक्षा शैलेश गुप्ता का कहना है कि सब कुछ नियमों के अनुसार किया जा रहा है पर हकीकत व्यवस्था की पोल खोल रही
 
 
 
  
 
 
 
 
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