महानगर के कुछ कान्वेंट स्कूलों पर शिक्षा का अधिकार कानून का भी कोई असर नहीं पड़ रहा है। वह कानून को मानने को तैयार नहीं है। नामांकन के लिए 38 छात्रों के परिजन भटक रहे हैं, लेकिन उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने नामांकन के लिए बीएसए और डीआइओएस से गुहार लगाई है। जिला विद्यालय निरीक्षक एएन मौर्य ने परिजनों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, क्षेत्रीय कार्यालय इलाहाबाद को जीएन नेशनल पब्लिक स्कूल, एचपी चिल्डेन और द पिलर्स स्कूल की मान्यता समाप्त करने के लिए पत्र लिखा है। उनका कहना है कि तीनों विद्यालयों ने शिक्षा का अधिकार कानून को नहीं माना है। उन्होंने गरीब परिवार के बच्चों का नामांकन लेने से इन्कार कर दिया है। जबकि, कानून के तहत सभी कान्वेंट विद्यालयों को 25 फीसद गरीब बच्चों को निश्शुल्क पढ़ाना अनिवार्य है। इसके लिए सरकार विद्यालयों को शुल्क के रूप में प्रति माह, प्रति छात्र 450 रुपये प्रतिपूर्ति प्रदान करती है।
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