वर्तमान शैक्षिक सत्र के चार माह व्यतीत होने को आए लेकिन परिषदीय विद्यालयों में निश्शुल्क पाठ्य-पुस्तकों का वितरण नहीं हुआ है। ऐसे में बिना पाठ्य-पुस्तकों के शैक्षिक गुणवत्ता की उम्मीद करना बेमानी है। यह एक ऐसा सवाल बन गया है, जिसे गुरुजी तो क्या बेसिक महकमा भी नहीं हल कर पा रहा है। परिषदीय विद्यालयों में दूध, फल, ड्रेस, नामांकन की बातें तो खूब हो रही हैं। औचक निरीक्षण में विद्यालयों की शैक्षिक गुणवत्ता भी निशाने पर है। लेकिन कोर्स बुक की अनुपलब्धता पर प्रत्येक जिम्मेदार अधिकारी बात करने से बचता नजर आता है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के जनपदीय शिक्षक प्रशिक्षक बेसिक शिक्षा रामसेवक शर्मा ने बताया उनके विद्यालय में इस सत्र में विगत वर्ष से अधिक बच्चे के नामांकन हो गया है। इससे विगत सत्र की पाठ्य-पुस्तकें कम पड़ गई हैं। प्रधानाध्यापिका पूजा सिंह ने बताया कि सत्र परीक्षाएं इसी सप्ताह शुरू हो जाएंगी। बिना किताबों के दिक्कत तो आती है। पर, पुरानी किताबों से काम चल जाता है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश कुमार मुताबिक अभी पुस्तकें उपलब्ध नहीं हुई हैं। इसी सप्ताह पुस्तकें आने की संभावना है। पुस्तकें प्राप्त होते ही इसी माह में बच्चों को पाठ्य-पुस्तकें उपलब्ध करा दी जाएंगी।पहले जिला केंद्र पर पाठ्य-पुस्तकें एकत्र होती हैं। पाठ्य-पुस्तकें उनका जनपदीय सत्यापन कमेटी सत्यापन करती है। इसके पश्चात पुस्तकें ब्लॉक संसाधन केंद्र पर पहुंचाई जाती हैं। वहां किताबों का फिर सत्यापन होता है। बीआरसी से पुस्तकें विद्यालयों को भेजी जाती हैं। इसलिए पुस्तकें प्राप्त हो जाने पर भी वितरण होने में समय लग जाता है।
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