विकास क्षेत्र के डेढ़ दर्जन से अधिक परिषदीय स्कूलों के जर्जर भवन अर्से से बदहाल हैं। महकमे की उदासीनता से कई बार शुरू की गई जर्जर विद्यालय भवन के हटाए जाने की कवायद परवान न चढ़ सकी। इन स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहालों का जीवन खतरे में है। ऐसे जर्जर भवनों में किसी भी समय बड़ी दुर्घटना घट सकती है।क्षेत्र के पूरे मलिक, दुवरिया प्रथम, पलिया चंदापुर, पिंडारा प्रथम, नेवादा, गाजनपुर, मुसाफि रखाना प्रथम, भनौली, दादरा प्रथम, पूरे उदल, पूरे पहलवान, गुन्नौर, धरौली, रसूलाबाद, अढ़नपुर प्रथम, महेशपुर, भद्दौर समेत जूनियर हाईस्कूल पिंडारा करनाई, बेसारा पूरब, मुसाफि रखाना प्रथम, दादरा आदि परिषदीय विद्यालयों में जर्जर भवन खड़े हैं। इन विद्यालयों में आपको स्कूली छात्र-छात्रएं किसी भी समय खेलते व टहलते मिल जाएंगे। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से बीते साल जर्जर भवन चिह्न्ति कर उन्हें ढहाने के योजना बनाई गई थी। योजना को लेकर डीएम के साथ जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की दो बार बैठक हुई थी, जिसमें यह तय किया गया था कि सभी जर्जर भवन परिसर से हटाये जायेंगे और उनके स्थान पर बच्चे खेलकूद करेंगे, लेकिन योजना अमलीजामा पहनने से पहले लड़खड़ा गई। विभागीय सूत्रों की मानें तो डीएम के निर्देश पर पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियन्ता को निर्देशित किया गया था कि वह तकनीकी टीम गठित कर सभी विद्यालयों के जर्जर खड़े भवनों का मौके पर मूल्यांकन कर रिपोर्ट दें। रिपोर्ट डीएम कार्यालय भेजी गयी। बावजूद इसके अभी तक जर्जर भवन हटाने की कार्रवाई नहीं शुरू हो सकी। शिक्षक संघ ब्लाक अध्यक्ष अखिलेश सिंह की मानें तो विकास खंड में खड़े जर्जर भवन से नौनिहालों को हर पल खतरा है, लेकिन विभाग की ओर से स्पष्ट कार्ययोजना न होने से अभी तक जर्जर भवन हटाये नहीं जा सके हैं। बीईओ ओमप्रकाश मिश्र कहते हैं विकास खंड के 17 प्राथमिक विद्यालयों व चार जूनियर हाईस्कूलों की सूची उच्चाधिकारियों को सौंपी जा चुकी है, लेकिन विभागीय मकड़जाल में उलझ कर योजना आगे नहीं बढ़ पाई।
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