फर्जीबाड़े में बर्खास्त शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। धोखाधड़ी कर नौकरी हासिल करने के आरोप में उनके विरुद्ध दर्ज मुकदमों की जांच अब क्राइम ब्रांच को सौंपी गई है। पूरे प्रदेश में चल रहे रैकेट का खुलासा करने के लिए पुलिस अधीक्षक ने यह कदम उठाया है। कोतवाली में दर्ज दो मुकदमें में 74 आरोपी हैं और एसपी के आदेश पर कोतवाली शहर में दर्ज दोनों मुकदमों की पत्रवलियां और अन्य साक्ष्य क्राइम ब्रांच को सौंपी जा रहे हैं।परिषदीय विद्यालयों में फर्जीवाड़े से नौकरी हासिल करने का खेल काफी दिनों से चल रहा है लेकिन पकड़ में नहीं आया। 72825 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में अभिलेखों का आन लाइन सत्यापन कराया गया तो टीईटी के अंक पत्र फर्जी निकले। कुछ तो पहले ही भाग गए लेकिन इस प्रक्रिया में आठ ने फर्जीवाड़ा कर नौकरी पा ली थी। तत्कालीन बीएसए डा. ब्रजेश मिश्र के आदेश पर बीईओ संडीला रमेश चंद्रा ने 26 नवंबर 2015 को आठ के विरुद्ध कोतवाली शहर में एफआइआर दर्ज कराई थी। जिसकी कोतवाली पुलिस जांच कर रही थी। पुलिस की जांच पूरी नहीं हो पाई कि एक और बड़ा रैकेट सामने आ गया और अगस्त 2014 में बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी बैचों में नियुक्ति पाने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं के सत्यापन में 66 फर्जी निकले। यह सब नौकरी कर रहे थे और मैनुअली सत्यापन भी हो गया था लेकिन आन लाइन सत्यापन कराया गया तो पोल खुल गई। मार्च 2016 में इन सभी को बर्खास्त कर दिया गया था और उनके विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराने का मामला चलता रहा।
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