DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Monday, January 17, 2022

लखनऊ विवि से बीएड प्रवेश की फीस न मिलने से प्रदेश के स्ववित्त पोषित महाविद्यालयों के सामने खड़ा हुआ आर्थिक संकट

लखनऊ विवि से बीएड प्रवेश की फीस न मिलने से प्रदेश के  स्ववित्त पोषित महाविद्यालयों के सामने खड़ा हुआ आर्थिक संकट


बीएड की फीस न मिलने से प्रदेश के 2350 स्ववित्त पोषित महाविद्यालयों के सामने भारी आर्थिक संकट खड़ा गया है। हालत यह है कि इन महाविद्यालयों के लगभग 50 हजार शिक्षकों व कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है। इन महाविद्यालयों का प्रबंध तंत्र फीस न मिल पाने की वजह बता कर उन्हें आश्वासन देता रहता है।


संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा का आयोजन इस बार भी लखनऊ विश्वविद्यालय ने कराई थी। प्रवेश परीक्षा परिणाम के आधार पर राज्य स्तरीय ऑनलाइन काउंसिलिंग के जरिए विगत अक्तूबर में प्रवेश प्रक्रिया सम्पन्न हुई थी। काउंसिलिंग में सीट आवंटित होने पर प्रवेशार्थी को एक वर्ष की 51250 रुपये फीस लखनऊ विश्वविद्यालय में ही जमा करनी पड़ती है।


 फीस जमा होने के बाद ही सीट लॉक होती है। इसके बाद प्रवेशार्थी को संबंधित महाविद्यालय में जाकर प्रवेश लेना होता है। महाविद्यालय में उसे कोई फीस नहीं देनी होती है। प्रवेश पाने वाले महाविद्यालय की फीस बाद में लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा उसे लौटाई जाएगी। प्रदेश के स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों की आय का जरिया केवल फीस ही होती है। इन महाविद्यालयों को सरकार से कोई वित्तीय मदद नहीं मिलती है।


प्रदेश के 2350 स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों में बीएड पाठ्यक्रम संचालित है। इन महाविद्यालयों में लगभग 2.14 लाख बीएड के छात्रों को प्रवेश मिला है। इस तरह बीएड की फीस के रूप में लगभग 1100 करोड़ रुपये अभी लखनऊ विश्वविद्यालय के पास ही पड़े हैं। अभी महाविद्यालय अपने स्तर से लखनऊ विश्वविद्यालय से फीस जल्द वापस पाने के लिए दबाव बना रहे हैं। जल्द ही उनका संगठन भी मांगपत्र के साथ मैदान में आने वाला है।


 उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी कहते हैं कि वह लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति से मिलकर मांग करेंगे कि बीएड की फीस जल्द वापस लौटाई जाए क्योंकि महाविद्यालय अपने सामान्य खर्चे भी नहीं जुटा पा रहे हैं।

No comments:
Write comments