संसू, अंबेडकरनगर : बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी अभिलेखों के सहारे नौकरी दिलाए जाने की जांच खामोशी बस्ते में दफन हो चुकी है। यह हालत तब है जबकि इसमें तहसील से लेकर डायट व महाविद्यालयों तक जालसाजों का गिरोह सक्रिय होने के संकेत हैं। खुलासे पर सरकारी मशीनरी अभी सुस्त पड़ी है। जबकि आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा भी दर्ज कराया जा चुका है।विशेष आरक्षण के तहत अनुसूचित जाति के लिए हुई उक्त शिक्षक भर्ती में कूटरचित शैक्षिक प्रमाण पत्रों के साथ ही जाति प्रमाण पत्र भी फर्जी लगाए जाने का मामला गत वर्ष सामने आया था। इसमें नौ शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाणपत्र संबंधित संस्था से जारी नहीं होने की पुष्टि हुई थी। इसके अलावा पिछड़ा वर्ग के शिक्षक को अकबरपुर तहसील क्षेत्र से अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र जारी किया गया था। जांच के दौरान खंड शिक्षा अधिकारियों ने प्रमाणपत्र देने वाले महाविद्यालय से इसके वैधता की पुष्टि करनी चाही तो यह फर्जी पाए गए। जबकि जाति प्रमाणपत्र के सत्यापन के लिए अकबरपुर तहसील में भेजा गया पत्र त्वरित गति से दूसरे दिन ही सत्यापित कर वापस बीएसए कार्यालय को भेज दिया गया था। मामले में संदेह होने पर बीएसए ने एसडीएम से मुलाकात कर जांच पड़ताल कराई तो यह प्रमाणपत्र भी फर्जी मिला। खास बात है कि उक्त भर्ती डायट प्राचार्य की ओर से सत्यापन के उपरांत बीएसए कार्यालय को सौंपी गई सूची के आधार की गई थी। लिहाजा बीएसए ने उक्त शिक्षकों को बर्खास्त करते हुए डायट समेत सभी के विरुद्ध कोतवाली अकबरपुर में मुकदमा दर्ज कराया था। मामला डायट से जुड़ा होने के चलते मुकदमे को हंसवर पुलिस को हस्तानांरित कर दिया गया। इस बाबत प्रभारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रमाशंकर राम से संपर्क किए जाने का प्रयास विफल रहा।
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