प्राथमिक शिक्षक भर्ती में आवेदकों द्वारा फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र लगाए जाने का मामला जोर पकड़ने लगा है। कथित फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी पाने वाले खुश हैं तो अन्य तमाम दावेदारों के चेहरे की हवाइयां उड़ रही हैं। प्रक्रिया में दावा करने वालों को इसकी भनक लगी तो मामला डीएम की चौखट में जा पहुंचा है। अहम समस्या यह है कि माह के अंतिम दिनों में नियुक्ति पत्र देना है और तब तक अगर विभाग जांच भी कराता है तो पूरी नहीं हो सकती है। शासन के निर्देश पर बेसिक शिक्षा विभाग 16,448 शिक्षकों की भर्ती चला रहा है। जिसमें जिले के कोटे में 320 सीटें आईं हैं। बीते दिन तक हुई काउंसिलिंग में 635 के शैक्षिक प्रमाण पत्र काउंसिलिंग के जरिए जमा कराए गए हैं। शिक्षक पात्रता के लिए बीटीसी, डीएड, बीएलएड जरूरी है। बच्चों को पढ़ाने के लिए इन प्रमाण पत्रों के फर्जी होने का दावा किया जा रहा है। डीएम से मिलने वालों में सुरेश कुमार, सर्वेश कुमार, राजीव सिंह, विभा सिंह आदि का कहना रहा कि हमने डीएम साहब को एक कॉपी दी है जिसमें आन लाइन परीक्षण कराने पर सारा मामला खुल कर सामने आ जाएगा। जिस रोल नंबर से यह पात्रता हासिल करने का दावा किया जा रहा है वह उसमें नाम दूसरे दर्शाए जा रहे हैं। इस मामले में विभागीय संलिप्तता भी है। अन्यथा इनके शैक्षिक प्रमाण पत्रों की जांच करा ली जाए तो फर्जीवाड़ा खुलकर सामने आ जाएगा। इन फर्जी दावेदारों की दावेदारी से मेरिट हाई हो जाएगी और हम सब वंचित रह जाएंगे। बीएसए विनय कुमार सिंह ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। आरोपों के आधार पर हम यह निर्णय नहीं ले सकते हैं कि अमुक दावेदार फर्जी है। शैक्षिक प्रमाण पत्रों के सत्यापन की एक निर्धारित प्रक्रिया है। उसके तहत सत्यापन कराया जाएगा। फर्जी प्रमाण पत्र पाए जाने पर दोषियों के खिलाफ मुकदमा लिखवाकर जेल भिजवाया जाएगा।
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