परिषदीय विद्यालयों में पूर्व बरसों की भांति इस वर्ष भी विद्यार्थियों को ड्रेस फिटिंग के अनुसार नहीं सेटिंग के माध्यम से बंटनी शुरू हो गई हैं। ड्रेस वितरण में जनप्रतिनिधि से लेकर विभागीय अधिकारी व कर्मचारी भी रुचि ले रहे हैं। जिसको लेकर खींचतान शुरू हो गई है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत परिषदीय और अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में पढ़ने वाले कक्षा एक से आठ तक विद्यार्थियों को निशुल्क दो ड्रेसें उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके लिए विभाग की ओर से प्रति बच्चे 400 रुपये आवंटित किए गए हैं। ड्रेस की धनराशि प्रबंध समिति के खाते में पहुंचते ही इसको लेकर खेल शुरू हो गया है। जिले में ड्रेस की आपूर्ति जनप्रतिनिधि के अलावा विभागीय अधिकारी व कर्मचारी भी रुचि रहे हैं, जिसके चलते विद्यार्थियों को फिटिंग के अनुसार ड्रेस मिलना संभव नहीं दिख रहा है। हाल यह है कि प्रबंध समिति के खाते में धनराशि पहुंचते ही आपूर्ति कर्ताओं ने विद्यालय में ड्रेसों को जबर्दस्ती डालना शुरू कर दिया है। अध्यापक के विरोध करने पर कभी जनप्रतिनिधि तो कभी अधिकारी का फोन पहुंच रहा है। इससे विद्यालयों में विद्यार्थियों की नाप लिए बगैर ही ड्रेसें बंटनी शुरू हो गई हैं।ड्रेस वितरण में विद्यालय प्रबंध समिति और अध्यापकों के बीच खींचतान चल ही रही है। आपूर्ति कर्ताओं के बीच भी खींचतान तेज हो गई है। इससे विद्यार्थियों को इस बार भी बगैर नाप लिए और गुणवत्ता विहीन ड्रेसें बांटी जा रही हैं। इस संबंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मसीहुज्जमा सिद्दीकी ने बताया कि ड्रेस की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाएगा। जहां पर भी ड्रेस वितरण में गड़बड़ी पाई गई वहां के जिम्मेदारों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।
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